लुधियाना-अमृतसर : डेरा सिरसा मुखी राम रहीम के खिलाफ सिख कौम की भावनाओं को भड़काने के मामले में कानूनी कार्रवाई करने के मुद्दे से शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष प्रो किरपाल सिंह बडूंगर ने यू टर्न ले लिया है। जबकि इससे पहले डेरा सिरसा प्रमुख राम रहीम द्वारा दशम पिता गुरू गोबिंद सिंह जी का स्वांग रचाकर सिख भावनाओं को ठेंस पहुंचाने के मुददे पर शिरोमणि कमेटी की धारा 295-ए के तहत कार्यवाही करने का यत्न कर रही थी।
अमृतसर में मीडिया के साथ बातचीत करते हुए बडूंगर ने कहा कि उन्होंने सितंबर 2015 में डेरा मुखी को माफ करने के समय एसजीपीसी के हाउस में पास किए अपील रूपी प्रस्ताव का रिकार्ड देखा है। जिस दौरान समाने आया कि उस वक्त के एसजीपीसी हाउस को कोई मान्यता ही नहीं थी। इस लिए उस वक्त डेरा मूखी की माफी संबंधी एसजीपीसी हाउस में पास हुए प्रस्ताव की कोई वैल्यू ही नहीं है। जबकि डेरा मुखी की ओर से वर्ष 2007 में श्री गुरू गोबिंद सिंह जी के बाणे के साथ मिलता जुलता लबास पहन कर डेरा में जाम ए इंसान पिलाया था। इस को लेकर सिख कौम के रोष पैदा हो गया था।
जिस से सिख कौम की भावनाएं आहत हुई थी। इस को लेकर राम रहीम के खिलाफ धार 295 ए के तहत पुलिस के पास शिकायत भी दर्ज करवाई गई थी। जिस को कोई सार्थक कार्रवाई नहीं हुई। परंतु साधवियों के साथ किए दुष्कर्म के मामले में सीबीआई अदालत की ओर से राम रहीम को सुनाई गई सजा के बाद श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह एलान किया था कि राम रहीम को सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मुद्दे को लेकर भी सजा दिलवाई जाएगी।
इस संबंधी एसजीपीसी के अध्यक्ष प्रो किरपाल सिंह बडूंगर से वे बातचीत करेंगे। सिंह साहिब के ब्यान के बाद प्रो बडूंगर ने पटियाला में एक पत्रकार सम्मेलन के दौरान मीडिया से कहा था कि डेरा मुखी को सजा दिलवाने के लिए वे प्रस्ताव एसजीपीसी की इसी वर्ष नवंबर में होने वाली एसजीपीसी की कार्यकारिणी कमेटी और जनरल हाउस की बैठक में इस मुद्दे पर प्रस्ताव लेकर आएंगे।
परंतु जब प्रो बडूंगर से इस मामले में सवाल किया गया तो उन्होंने अपने दिए हुए पहले ब्यान पर यूटर्न लेते हुए कहा कि उन्होंने चेक किया है कि जिस वक्त डेरा मुखी के पक्ष में एसजीपीसी हाउस में प्रस्ताव पास हुआ था उस वक्त के हाउस को कोई भी कानूनी मान्यता नहीं थी। इस लिए उस वक्त पास हुए प्रस्ताव का कोई भी महत्व नहीं है।
इस मामले में 29 सितंबर 2015 को तेजा सिंह समुद्री हाल में तत्कालीन एसजीपीसी अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ की ओर बुलाए गए जरनल हाउस में श्री अकाल तख्त साहिब के हुए हुकम , जिस में डेरा सिरसा मुखी राम रहीम का माफी संबंधी स्पष्टीकरण को स्वीकार कर माफी दिए जाने का स्वागत किया गया था। अब प्रो बडूंगर सितंबर 2015 के हाउस की मान्याता होने से ही पीछे हट गए है। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी के वर्ष 2011 से चुने हुए प्रतिनिधि को ही अक्टूबर 2016 में कानूनी मान्यता अदालत ने दी है। इस लिए इस मामले पर विचार का कोई आधार अभी तक नहीं है।
– सुनीलराय कामरेड