कोरोना काल में शुरू हुए संसद के मानसून सत्र का आज चौथा दिन है। सुबह नौ बजे से एक बजे तक चलने वाली राज्यसभा की कार्रवाई में गुरुवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ने जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) के निजीकरण का मुद्दा उठाया। उन्होंने केंद्र सरकार से जेएनपीटी का निजीकरण नहीं करने का आग्रह किया।
राज्यसभा में जेएनपीटी के निजीकरण का मुद्दा उठाते हुए संजय राउत ने कहा, नोटबंदी व कोविड-19 महामारी के कारण देश की आर्थिक व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। हमारी जीडीपी और हमारा रिजर्व बैंक भी खस्ताहाल हो गया है। ऐसे में सरकार द्वारा जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट का निजीकरण किया जाना गलत है।
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उन्होंने कहा ”देश की आर्थिक हालत बहुत गंभीर है, अब स्थिति ऐसी है कि हमारी GDP और हमारा RBI भी कंगाल हो चुका है, ऐसे में सरकार एयर इंडिया, रेलवे, LIC और काफी कुछ बाज़ार में बेचने के लिए लाया है बहुत बड़ा सेल लगा है अब इस सेल में जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट को भी खड़ा कर दिया है।
जेएनपीटी एक लाभकारी उपक्रम है और सरकार को 30 फीसदी से अधिक मुनाफा देता है। सरकार इसके निजीकरण पर विचार कर रही है। इसके निजीकरण का मतलब राष्ट्रीय संपत्ति को गहरा नुकसान होना है। युद्ध के दौरान नौसेना के बाद इस बंदरगाह ने साजोसामान की ढुलाई में भी अहम भूमिका निभाई है।”
उन्होंने कहा ” इस पोर्ट ट्रस्ट के निजीकरण का मतलब है 7000 एकड जमीन को निजी हाथों में दे देना। इससे बेरोजगारी भी बढेगी क्योंकि निजीकरण होने पर सबसे पहले कामगारों की छंटनी होगी। यह एक महत्वपूर्ण बंदरगाह है और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी यह खास है।”