शिवसेना ने शनिवार को चेतावनी दी कि अगर मोदी सरकार माल एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा का भुगतान करने में नाकाम रहती है तो इससे केंद्र और राज्यों के बीच संघर्ष छिड़ सकता है। शिवसेना ने यह भी कहा कि केंद्र की नीतियां देश में “आर्थिक अराजकता” के लिए जिम्मेदार है।
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित संपादकीय में कहा, “जीएसटी लागू होने की वजह से राज्यों को होने वाले राजस्व के नुकसान के मद में 50,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने का केंद्र ने वादा किया था। लेकिन पिछले चार महीने से राज्यों को जीएसटी मुआवजा नहीं मिला।”
संपादकीय में कहा गया है, “यह पैसा राज्यों का है और इसके भुगतान में देरी से राज्यों की वित्तीय स्थिति खराब हो सकती है। यदि संसाधनों में उनके (राज्यों के) उचित हिस्से नहीं दिए जाते हैं, जिसपर उनका अधिकार है, तो राज्यों को केंद्र के खिलाफ आवाज उठाना पड़ेगा।”
शिवसेना ने यह आलोचना वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा राज्यसभा में दिए बयान के दो दिन बाद की है। दरअसल, सीतारमण ने कहा था कि केंद्र जीएसटी मुआवजा राज्यों को देने की प्रतिबद्धता का सम्मान करेगा। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया था कि यह राशि कब जारी की जाएगी।
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उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई 2017 से लागू जीएसटी में राज्यों ने माल और सेवा पर कर वसूलने के अपने अधिकार केंद्र को इस शर्त पर सौंप दिए थे कि अगले पांच साल तक इसकी वजह से राजस्व को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।
उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के मुताबिक विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित करने वाले राज्यों को नगर निकायों द्वारा एकत्र किए जाने वाली चुंगी का उन्मूलन करने के बाद नुकसान का सामना करना पड़ा है। जबकि केंद्र सरकार ने वादा किया था कि मुआवजा दिया जाएगा लेकिन अब तक कुछ नहीं किया गया।
शिवसेना ने कहा कि भारत पेट्रोलियम जैसे मुनाफा में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को बेचा जा रहा है और केंद्र के पास प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं पर खर्च 500 करोड़ रुपये एअर इंडिया को चुकाने के लिए पैसे नहीं हैं। पार्टी ने कहा, “इसलिए, यह संदेह है कि राज्यों को जीएसटी मुआवजा मिलेगा।”
पार्टी के मुखपत्र में कहा गया है, ”सभी राज्यों का मानना है कि जीएसटी मुआवजा देने की प्रतिबद्धता का केंद्र ने सम्मान नहीं किया। अगर यही स्थिति रही तो राज्य और केंद्र में विवाद होगा। इसी तरह का एक विवाद पूर्वोत्तर में नागरिकता (संशोधन) कानून-2019 को लेकर पैदा हुआ है।”