उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में अब बस कुछ ही दिन बचे है, ऐसे में सभी दल अपनी-अपनी चुनावी तैयारियों को अंंतिम दौर में लेकर जा रहै है। तो वहीं, उत्तर प्रदेश की बड़ी राजनीतिक पार्टी को एक झटका लगा है। समाजवादी पार्टी (सपा) का पंजीकरण रद्द करने का आदेश देने की मांग संबंधी एक जनहित याचिका सोमवार को उच्चतम न्यायालय में दाखिल की गई।
A PIL is filed in SC seeking direction to ECI to take steps to ensure that every political party publishes the details regarding criminal cases of each candidate along with reason for such selection on the Home Page of its official website in the spirit of the apex court judgment
— ANI (@ANI) January 17, 2022
भाजपा ने दायर की याचिका, लगाई गुहार
याचिकाकर्ता भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा, ‘‘याचिका में उच्चतम न्यायालय से गुहार लगाई गई है कि वह निर्वाचन आयोग को यह निर्देश दे कि वह सपा समेत उन राजनीतिक दलों के पंजीकरण रद्द कर दें, जो चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास का खुलासा नहीं करते हैं।’’
सपा ने नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारने घोषणा की
उपाध्याय ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कैराना निर्वाचन क्षेत्र से सपा ने नाहिद हसन को चुनावी मैदान में उतारने घोषणा की है। हसन एक कुख्यात गैंगस्टर है लेकिन सपा ने इस उम्मीदवार के आपराधिक रिकॉर्ड को समाचार पत्र, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में प्रकाशित-प्रसारित नहीं किया, और न ही उसके चयन की वजह बतायी है।
उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवमानना
याचिकाकर्ता का कहना है कि उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड के बारे में जानकारी नहीं देना उच्चतम न्यायालय के फरवरी 2020 के फैसले के खिलाफ है। उपाध्याय का कहना है कि अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करते वक्त राजनीतिक दलों के लिए संबंधित व्यक्ति का अपराधिक रिकॉर्ड सार्वजनिक करना अनिवार्य है।
यूपी चुनाव: RLD ने घोषित की उम्मीदवारों की तीसरी सूची, जयंत ने कार्यकर्ताओं पर जताया भरोसा
भाजपा अब भी इस मामले पर सपा पर आक्रामक है
उधर, दूसरी तरफ, भाजपा अब भी इस मामले पर सपा पर आक्रामक है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ हमला बोलते हुए कह चुके हैं कि सपा की पहली ही लिस्ट से उसके इरादे साफ हैं कि वह कैसे पश्चिम यूपी को गुंडाराज में झोंकने की तैयारी में है।
अश्विनी उपाध्याय ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से मांग की है कि चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए कि वह यह सुनिश्चित करे कि हर पार्टी अपने प्रत्याशियों पर दर्ज मुकदमों के बारे में जानकारी प्रकाशित करे। इसके अलावा अपनी वेबसाइट पर यह जानकारी भी दे कि आखिर आपराधिक मुकदमे दर्ज होने के बाद भी उसे प्रत्याशी क्यों बनाया गया है।