शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को देश की शीर्ष अदालत, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक बड़ा झटका दिया है। मजीठिया की तरफ से दायर याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। इसमें पंजाब पुलिस की ओर से नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट (एनडीपीएस), 1985 के तहत उनके खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने की मांग की गई थी। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की बेंच और सूर्यकांत ने मजीठिया से राहत के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख करने को कहा।
याचिका पर विचार करने से किया इंकार
इस मामले पर शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, "हम अनुच्छेद 32 के तहत याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। लेकिन हम याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय या किसी अन्य पीठ से संपर्क करने की अनुमति देते हैं। हम निर्देश देते हैं कि याचिका की सुनवाई केवल उच्च न्यायालय की खंडपीठ की ओर से की जाए, न कि एकल पीठ करे।"
मजीठिया ने कर दिया था आत्मसमर्पण
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी को मजीठिया को अमृतसर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से शिअद उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने के लिए 20 फरवरी को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 23 फरवरी तक गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की थी। सुरक्षा अवधि समाप्त होने के बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया था। मजीठिया ने कहा कि मामले राजनीति से प्रेरित हैं। उनका तर्क है कि उनकी जांच पहले ही उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारियों की ओर से की जा चुकी है।
गौरतलब है कि इससे पहले मजीठिया के खिलाफ पिछले साल 20 दिसंबर को स्वापक औषधि एवं मन: प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था। मजीठिया की अग्रिम जमानत याचिका को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी को खारिज कर दिया था।