विश्वभर के सभी देश कोरोना वैक्सीन बनाने की दौड़ में शामिल हैं, इस दौड़ का हिस्सा भारत भी है। भारत में भी कोरोना की वैक्सीन बनाने के लिए प्रयास किये जा रहें हैं। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही कोरोना की कोई कारगर और सुरक्षित वैक्सीन आएगी। इस बीच देश में कोरोना की वैक्सीन विकसित करने में लगे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने मंगलवार को यह साफ कर दिया है कि ऑक्सफोर्ड कोरोना वायरस वैक्सीन ‘कोविशील्ड’ सुरक्षित और प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने वाली है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा कि कोविशिल्ड सुरक्षित और इम्युनोजेनिक है। वैक्सीन की वजह से चेन्नई के वालंटियर के साथ कोई हादसा नहीं हुआ। ट्रायल में सभी विनियामक और नैतिक प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों का पालन किया गया। प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, डीएसएमबी और एथिक्स कमेटी ने कहा कि टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि कंपनी की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए कानूनी नोटिस भेजा गया, जिसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है।
जानिए क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, कोरोना वायरस वैक्सीन बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविड-19 के संभावित टीके के परीक्षण में शामिल एक व्यक्ति के आरोपों को खारिज कर दिया। कंपनी ने गलत आरोप लगाने को लेकर भारी-भरकम जुर्माना वसूलने की भी धमकी दी। कोविडशील्ड के परीक्षण में चेन्नई में भाग लेने वाले एक 40 वर्षीय व्यक्ति ने आरोप लगाया कि गंभीर न्यूरोलॉजिकल समस्या और ज्ञानेंद्री संबंधी समस्या समेत गंभीर दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ा है। व्यक्ति ने सीरम इंस्टीट्यूट तथा अन्य से 5 करोड़ रुपये क्षतिपूर्ति की मांग की है। इसके साथ ही उस व्यक्ति ने परीक्षण पर रोक लगाने की भी मांग की है।
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, ‘नोटिस में लगाए गए आरोप दुर्भावनापूर्ण और गलत हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया उस व्यक्ति की चिकित्सा स्थिति के प्रति सहानुभूति रखता है, लेकिन टीके के परीक्षण का उसकी स्थिति के साथ कोई संबंध नहीं है।’ कंपनी ने कहा कि वह व्यक्ति अपने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के लिए गलत तरीके से टीके को जिम्मेदार बता रहा है। कंपनी ने कहा कि वह ऐसे आरोपों से अपना बचाव करेगी और गलत आरोप के लगाने के लिए 100 करोड़ रुपये तक की मानहानि का दावा कर सकती है।