कोरोना वैक्सीन को बनाने में लगी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने दावा किया कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका कंपनी के सहयोग से विकसित कोरोना टीका पूरी तरह सुरक्षित और असरदार है। इसके साथ ही एसआईआई ने यह भी दावा किया कि मानकों के अनुरूप टीके का भारत में भी परीक्षण चल रहा है। एसआईआई ने लोगों से धैर्य बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि टीका सबसे खराब प्रदर्शन की स्थिति में भी 60-70 फीसदी असरदार है।
बता दें कि इस प्रायोगिक कोरोना टीके के उत्पादन में त्रुटियों की बात सामने आने पर लोग इसके शुरुआती नतीजों को लेकर सवाल उठाने लगे हैं। इसके पहले एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड ने दावा किया था कि उसके द्वारा विकसित टीका बहुत असरदार है। लेकिन कंपनी ने यह नहीं बताया था कि क्यों कुछ प्रतिभागियों को पहली खुराक में टीके की उतनी अधिक मात्रा नहीं दी गई जितनी पहले प्रस्तावित थी।
दरअसल, ऑक्सफोर्ड का यह टीका आधी डोज में 90 फीसदी कारगर पाया गया। जबकि पूरी डोज देने पर 62 फीसदी कारगर रहा था। इस पर टिके पर वैज्ञानिक समुदाय ने भी प्रश्न खड़े किए हैं जिनके जवाब नहीं दिए गए। लेकिन एस्ट्राजेनेका ने इस अनोखे नतीजों के पीछे की चूक को सार्वजनिक किया है।
नेचर जर्नल ने एस्ट्राजेनेका के वाइस प्रेसीडेंट (बायोफार्मास्युटिकल-रिसर्च एंड डेवलपमेंट) मेने पेनालोस के हवाले से कहा है कि अच्छे नतीजे एक गलती का परिणाम हैं। अप्रैल के अंत में जब इस टीके के परीक्षण आरंभ हुए तो यह पाया गया कि जिन लोगों को टीका दिया गया है, उनमें सिर दर्द, थकान और हाथों में दर्द की शिकायतें अपेक्षा से कम हैं। वैज्ञानिक इसका कारण नहीं समझ पाए। इसलिए शुरू से ही परीक्षणों के आंकड़े चेक किए गए।