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सीताराम ने मोदी सरकार पर साधा निशाना कहा- कंप्यूटरों की निगरानी करना असंवैधानिक

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नई दिल्ली : माकपा पोलित ब्यूरो और पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने निजी कंप्यूटरों को भी जांच एजेंसियों की निगरानी के दायरे में लाने के सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि सरकार प्रत्येक भारतीय को अपराधी क्यों मान रही है? येचुरी ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय के 10 केन्द्रीय एजेंसियों को सभी कंप्यूटरों पर निगरानी करने संबंधी आदेश को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा ‘‘प्रत्येक भारतीय के साथ अपराधी की तरह व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यह आदेश असंवैधानिक है।

यह सरकार द्वारा पारित किया गया है जो प्रत्येक भारतीय पर निगरानी रखना चाहती है, ।’’ येचुरी ने इसके असंवैधानिक होने की दलील देते हुए कहा कि यह टेलीफोन टैपिंग संबंधी दिशानिर्देशों तथा निजता और आधार पर अदालती फैसले का उल्लंघन करता है। खबरों के मुताबिक गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि खुफिया ब्यूरो, मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सचिवालय (रॉ), ‘डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस’ और दिल्ली के पुलिस आयुक्त के पास देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की कथित तौर पर निगरानी करने का अधिकार होगा।

माकपा पोलित ब्यूरो ने एक बयान जारी कर सरकार से इस आदेश को तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की तथा कहा है कि मोदी सरकार का विगत भाजपा एवं आरएसएस के दृष्टिकोण से असहमति रखने वाले लोगों को परेशान करने और उन्हें विभिन्न मामलों में फंसाने का रहा है। बयान में कहा गया कि यह संविधान प्रदत्त निजता के मूलभूत अधिकार पर हमला है।

सावधान : गृह मंत्रालय ने दिया अधिकार, कंप्यूटर डेटा की जांच कर सकती हैं 10 खुफिया एजेंसियां

मोदी सरकार ने देशभर इतेमाल हो रहे तमाम कंप्यूटर के कारण इसलिए उनकी जानकारी को लेकर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। मोदी सरकार ने प्रमुख 10 सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को किसी भी व्यक्ति या संस्थान के कंप्यूटर के डेटा को जांचने का अधिकार दिया है। गृह मंत्रालय के आदेश के मुताबिक देश की ये सुरक्षा एजेंसियां किसी भी व्यक्ति के कंप्यूटर में जेनरेट, ट्रांसमिट, रिसीव और स्टोर किए गए किसी दस्तावेज को देख सकता है।

इस आदेश के अनुसार सभी सब्सक्राइबर या सर्विस प्रोवाइडर और कंप्यूटर के मालिक को जांच एजेंसियों को तकनीकी सहयोग देना होगा। अगर वे ऐसा नहीं करते, तो उन्हें 7 साल की सज़ा देने के साथ जुर्माना लगाया लगाया जा सकता है। इंटेलिजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, डायरेक्टरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस, सीबीआई, एनआईए, कैबिनेट सेक्रेटेरिएट (रॉ), डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस और दिल्ली के कमिश्नर ऑफ पुलिस को देश में चलने वाले सभी कंप्यूटर की जासूसी की मंजूरी दी गई है।

सरकार के इस बड़े फैसले के बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर हमला करते हुए बोला है। देश में सभी कंप्यूटर की जासूसी का आदेश दे दिया है। और क्या मोदी सरकार अपने इस फैसले से ‘घर-घर मोदी’ का अपना वादा निभा रही है। और उन्होंने कहा की 1984 में आपका स्वागत है।

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