गोण्डा : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को यहां बाढ़ पुनर्वास केंद, में विस्थापित लोगों और उनके बच्चों से कन्नड़ में बातचीत के जरिए उनकी व्यथा बांटकर यह साबित कर दिया वह कर्नाटक से राज्यसभा की सही मायनों में प्रतिनिधि हैं। श्रीमती सीतारमण बाढ़ प्रभावित कोडागु जिले का दौरा करेंगी और राहत शिविरों में रह रहे लोगों से बातचीत करने के अलावा जिला अधिकारियों के साथ बैठक भी करेंगी।राज्य में बाढ़ के कारण 16 लोगों की मौत हो गयी है जबकि कई हजार लोग विस्थापित हुए हैं। श्रीमती सीतारमण आज सुबह मैसुरु हवाईअड्डा पहुंची जहां से वह वायुसेना के हेलीकॉप्टर से यहां आयीं।
उन्होंने जिला प्रशासन के अधिकारियों और कोडागु जिला प्रभारी मंत्री एस आर महेश के साथ बैठक करने से पहले कई पुनर्वास केंद्रों तथा भूस्खलन से प्रभावित इलाकों का दौरा किया। एक पुनर्वास केंद, पर अपने माता-पिता के साथ रह रहे बच्चों से बातचीत के दौरान जब एक व्यक्ति ने टूटी-फूटी हिंदी में श्रीमती सीतारमण से बातचीत करने का प्रयास किया तो उन्होंने तुरंत हस्तक्षेप करते हुए कहा कि वह कन्नड़ को न केवल समझ सकती हैं बल्कि बोल भी सकती हैं। इसके बाद कन्नड़ में ही बाढ़ पीड़तिं की व्यथा सुनी और उनसे कहा कि वह दिल्ली से उनकी मदद करने आयीं हैं तथा उन्हें आश्वस्त किया कि उनकी तमाम परेशानियों को दूर करने के लिए हरसंभव उपाय भी करेंगी। कोडागु में 13 से 21 अगस्त के बीच बाढ़ की विभीषिका के कारण 16 लोगों की मौत हो गयी तथा कई हजार लोग विस्थापित हो गये।
बाढ़ के कारण हजारों हेक्टेयर में लगी मसाले और कॉफी की खेती नष्ट हो गयी। कोडागु में 13 से 21 अगस्त तक दक्षिण पश्चिम मानसून की बारिश ने 87 साल पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया। मौसम विभाग के सूत्रों के अनुसार 1931 में कोडागु में अगस्त महीने में 1559 मिमी की रिकॉर्ड बारिश दर्ज की गयी थी जबकि जिले में इस बार 21 अगस्त तक 1675 मिमी बारिश दर्ज की गयी। इसके अलावा जिले में तीन दिनों-15, 16 एवं 17 अगस्त को 768 मिमी बारिश दर्ज की गयी। केवल 17 अगस्त को जिले में 300 मिमी बारिश दर्ज की गयी थी। यह साबित करने के लिए कि स्थिति सामान्य होने लगी है, अधिकतर प्रभावित मजदूर, विशेष रूप से असम के प्रवासी मजदूर अब काम की तलाश कर रहे हैं और पुनर्वास केंद्रों को खाली कर रहे हैं। बेंगलुरु और राज्य के अन्य स्थानों पर रहने वाले कई कॉफी एस्टेट मालिकों ने अपने खेतों और कारखानों में प्रवासी मजूदरों को काम करने की पेशकश भी की है।