सुप्रीम कोर्ट द्वारा लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू की जमानत रद्द करने के बाद एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) ने कहा है कि आशीष मिश्रा की जमानत रद्द कर सुप्रीम कोर्ट ने न्याय व्यवस्था में उम्मीद बहाल कर दी है। मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को जमानत दे दी थी। एसकेएम ने मांग करते हुए कहा कि, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद (केंद्रीय गृह मंत्री) अजय मिश्रा टेनी, आशीष के पिता को तुरंत मंत्री पद से बर्खास्त किया जाना चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है, तो मई के पहले सप्ताह में संयुक्त किसान मोर्चा एक राष्ट्रीय बैठक करेगा और देशव्यापी विरोध कार्यक्रम की घोषणा करेगा।
सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दखल देने के बाद ही न्याय मिला है
किसानों के संघ ने कहा कि, लखीमपुर खीरी मामले में फंसे किसानों को न्याय दिया जाना चाहिए और इसके चश्मदीदों को सुरक्षा दी जानी चाहिए। किसानों के संघ ने निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था। किसानों ने कहा कि, तीन अक्टूबर को हुई इस जघन्य हत्याकांड में शुरू से ही अपराधियों को बचाने के प्रयास जारी थे। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दखल देने के बाद ही न्याय मिला है। इस आदेश के बाद टेनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।
सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दखल देने के बाद ही न्याय मिला है
किसानों के संघ ने कहा कि, लखीमपुर खीरी मामले में फंसे किसानों को न्याय दिया जाना चाहिए और इसके चश्मदीदों को सुरक्षा दी जानी चाहिए। किसानों के संघ ने निरस्त किए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था। किसानों ने कहा कि, तीन अक्टूबर को हुई इस जघन्य हत्याकांड में शुरू से ही अपराधियों को बचाने के प्रयास जारी थे। सुप्रीम कोर्ट के बार-बार दखल देने के बाद ही न्याय मिला है। इस आदेश के बाद टेनी के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने का कोई औचित्य नहीं रह गया है।

अजय मिश्रा टेनी ने किसानों को दी थी खुलेआम धमकी
एसकेएम ने दावा किया कि, इस नरसंहार से पहले 26 सितंबर को मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने किसानों को खुलेआम धमकी दी थी, लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक जज की निगरानी में काम कर रही एसआईटी की लिखित सिफारिश के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की। तब मृतक किसानों के परिवारों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
एसकेएम ने दावा किया कि, इस नरसंहार से पहले 26 सितंबर को मंत्री अजय मिश्रा टेनी ने किसानों को खुलेआम धमकी दी थी, लेकिन आज तक उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। एक जज की निगरानी में काम कर रही एसआईटी की लिखित सिफारिश के बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील दायर नहीं की। तब मृतक किसानों के परिवारों ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
