मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) सुनील अरोड़ा ने बुधवार को कहा कि सोशल मीडिया मंचों को सुरक्षा की एक दीवार बनानी होगी ताकि बातों को गलत ढंग से पेश करने के खतरों और तथ्यों की गलत व्याख्या को तत्काल फैलाने के लिए उसके गलत इस्तेमाल से बचा जा सके।
अरोड़ा ने कहा,‘‘अगर सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल नहीं हो तो कई बार इसकी अपनी जटिलताएं हो सकती हैं…।’’
सीईसी ने कहा, ‘‘इस माध्यम का इस्तेमाल मतदाता शिक्षा, पंजीकरण अभियान, नैतिक मतदान और ईवीएम की गलत व्याख्या का प्रत्युत्तर देने के लिए भारत के निर्वाचन आयोग के एसवीईईपी (व्यवस्थित मतदाता शिक्षा एवं चुनावी भागीदारी कार्यक्रम) अभियान में किया जाना चाहिए।’’
वह विश्व निर्वाचन निकाय (ए-वेब) संगठन की चौथी महासभा के अंत में संवाददताओं को संबोधित कर रहे थे।
सीईसी ने कहा,‘‘सोशल मीडिया को देर-सबेर सुरक्षा दीवारें बनानी ही होंगी।’’
उन्होंने बात को गलत तरीक से पेश करने के खतरे और उसकी गलत व्याख्या बस एक ही क्लिक में अनेक यूजर के बीच पहुंचने पर चिंता जताई।
अरोड़ा ने कहा,‘‘यह चिंताजनक है और यह सोशल मीडिया का एक पहलू है। यह एक संभावित खतरे के रूप में उभर रहा है क्योंकि यह सामाजिक अशांति फैला सकता है और जनजातीय, क्षेत्रीय तथा जातियों के बीच संघर्ष पैदा कर सकता है।’’
एक सवाल के जवाब में अरोड़ा ने सोशल मीडिया के लिए भारत में एक विधायी ढांचे की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि उन्हें सोशल मीडिया मंचों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए आईटी पर संसदीय स्थायी समिति से इस संबंध में सोशल मीडिया के पहलुओं पर एक रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है।