जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर आतंकी हमला हुआ जिसमें 44 जवानों की मौत हो गई। यह हमला आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने कराया है जो कि अब तक का सबसे बड़ी आतंकी हमला बताया जा रहा है।
पुलवामा जिले से पहले आतंकी हमला उड़ी में हुआ था जिसमें 18 जवान शहीद हुए थे। पुलवामा हमले में जहां 44 जवानों की मौत हो गई तो वहीं 45 से ज्यादा जवान गंभीर हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। आज इन सभी जवानों को उनके घर पहुंचा दिया गया है।
इस वजह से नहीं मिलेगा जवानों को शहीद का दर्जा
पुलवामा हमले में शहीद हुए 44 जवानों को लेकर एक चौंकाने वाली खबर सामने आ रही है। जहां पूरा देश इन जवानों को शहीद बोला रहा है लेकिन सरकारी तौर पर इन्हें शहीद का दर्ज नहीं मिलेगा। बता दें कि पैरामिलिट्री फोर्स में सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी आते हैं अगर इन में से कोर्ई भी जवान ड्यूटी के दौरान किसी भी हमले में मर जाता है तो उसे शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है।
हालांकि भारतीय सेना, नेवी और एयर फोर्स के जवानों की मौत ड्यूटी के दौरान हो जाती है तो उन्हें शहीद का दर्जा दिया जाता है। दरअसल भारतीय सेना, नेवी और एयर फोर्स यह तीनों भारतीय रक्षा मंत्रालय के अंदर आते हैं तो वहीं जितनी भी पैरामिलिट्री फोर्सेज हैं वह सब केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंदर आते हैं।
जैश-ए-मोहम्मद ने किया है यह आतंकी हमला
पुलवामा में आतंकी हमले की पूरी जिम्मेदारी आतंकी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने ले ली है। जैश-ए-मोहम्मद ने यह आत्मघाती हमला अपने आतंकवादी आदिल अहमद डार से कराया है। बता दें कि आदिल अहमद डार पुलवामा जिले का ही रहने वाला था। खबरों के अनुसार पिछले साल आदिल को आतंकी जाकिर मूसा के आतंकी समूहों उल हिंद में देखा गया था।
14 फरवरी यानी गुरुवार को यह हमला श्रीनगर के हाईवे पर दोपहर 3:30 बजे हुआ था। उस समय सीआरपीएफ के जवानों के काफिले में 78 गाडिय़ां जा रही थी और उन सभी में 2545 जवान थे। उसमें से 44 जवानों की मौत हो गई। पुलवामा के ही अवंतीपोरा के गोरीपोरा के इलाके से जा रहे सीआरपीएफ के काफिले की एक गाड़ी से आतंकियों की 320 किलोग्राम विस्फोटक भरी हुई गाड़ी टक्करा गई और यह बड़ा हमला हो गया।