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कुछ ऐसी थी करुणानिधि की निजी जिंदगी, तीन बीवियां और प्यार के अफसाने

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नई दिल्ली : तमिलनाडु की राजनीति का एक बड़ा स्तंभ माने जानेवाले मुथुवेल करुणानिधि दुनिया को अलविदा कह गए और अपने पीछे छोड़ गए ऐसा इतिहास, जिसे राज्य कभी भुला नहीं पाएगा। दक्षिण की राजनीति के मुख्य स्तंभ और तमिलनाडु के 5 बार मुख्यमंत्री रहे एम करुणानिधि दुनिया को अलविदा कह गए और अपने पीछे छोड़ गए ऐसा इतिहास, जिसे राज्य कभी भुला नहीं पाएगा। लंबी बीमारी के बाद उन्होंने मंगलवार शाम 6:10 बजे अंतिम सांस ली।

करुणानिधि भारत के हर राज्ये में चर्चे है। लेकिन क्या आप जानते है। इनकी तीन शादियों और प्यार से भरे अफसानों के बारे में। तो चाइये जानते है। करुणानिधि कैसे बने तीन बीवियों शौहर केवल उनकी दोनों पत्नियां, बल्कि बच्चे और चाहने वाले साथ रहते है। करुणानिधि की निजी जिंदगी के बारे में बात करे तो। उनकी ज़िंदगी बहुत ही दिलचस्प है। उनकी तीन बीवियां है – पद्मावती, दयालु अम्मल और रजती अम्मल। पद्मावती की मौत हो चुकी है। दयालु अम्मा और रजती उनके साथ ही रहती हैं। एक पत्नी के रूप में तो दूसरी प्रेमिका के रूप में, एक ही घर में एक साथ रहती हैं। सन् 1944 के आसपास करुणानिधि की मुलाकात पद्मावती अम्माय्यर से हुई। वह दक्षिण सिनेमा के प्लेबैक सिंगर सीएस जयरामन की बहन थी। छरहरी लंबी और आकर्षक नैन नक्श वाली पद्मावती अम्माय्यर पसंद आ गई।

मुलाकातों का दौर प्यार में बदला और 1946 में दोनों ने शादी की ली। 1948 में बीमारी के चलते पद्मावती का निधन हो गया। पद्मावती के निधन के चार साल बाद 1952 में उन्होंने दयालु अम्मल से शादी की ली। दयालु से उन्हें चार बच्चे हुए-तीन बेटे और एक बेटी। इनके नाम हैं- यानि एमके अझागिरी, एमके स्टालिन, एकके थामिलारासु और सेल्वी। स्टालिन ही करुणानिधि के उत्तराधिकारी के तौर पर डीएमके की बागडौर संभाले हुए हैं। 60 के दशक में चुनाव प्रचार के दौरान करुणानिधि की मुलाकात कवि कन्नडासन के डांस ग्रुप की सदस्य रजती से हुई। करुणानिधि रजती की ओर आकर्षित होते चले गए और फिर मुलाकातें होने लगीं।

जल्दी ही मुलाकातों का दौर प्यार में बदल गया। उस समय रजती मुश्किल से 20-21 साल की थीं और करुणानिधि उनसे 21 साल ज्यादा बड़े थे। उन दिनों डीएमके का ‘स्वयं मर्यादा कल्याणम्’ नाम से एक कार्यक्रम चल रहा था। इसके अनुसार, लड़का और लड़की शादी के लिए न तो कोर्ट जाते थे और न ही किसी मंत्रोच्चार से विवाह करते थे। इसके लिए उन्होंने रास्ता निकाला था कि युवक और युवती पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के बीच जिंदगी भर साथ निभाने की कसम खाएंगे। करुणानिधि ने भी इसी रास्ते पर चलते हुए रजती के साथ पार्टी नेताओं से आशीर्वाद ले लिया। इसके बाद से दयालु जहां करुणानिधि की पत्नी रहीं, वहीं रजती को संगिनी कहा जाने लगा। एक साल बाद ही 1968 में कनिमोझी का जन्म हो गया। कानूनी तौर पर दयालु को ही उनकी पत्नी होने का हक हासिल है लेकिन दुनिया यही जानती है कि दोनों उनकी पत्नियां हैं।

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