लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 किए जाने के प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अबु आजमी ने जनसंख्या नियंत्रण की कोशिश से जोड़ दिया है। उन्होंने यह कहकर भी विवाद खड़ा कर दिया है कि इस कानून को वे लोग ला रहे हैं, जिनके अपने बच्चे नहीं हैं। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन माना जा रहा है कि उनका इशारा पीएम नरेंद्र मोदी की ओर था।
मीड़िया रिपोर्टस के अनुसार शादी के लिए लड़की की उम्र बढ़ाए जाने के फैसले पर सपा अबू आजमी ने कहा कि कानून बनाने में उनकी राय लेनी चाहिए जो लड़की-लड़के के बाप हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कोई नियम बनाने की जरुरत नहीं है ये घरवालों के ऊपर छोड़ देना चाहिए कि कब अपनी लड़की या लड़के की शादी करनी है।
मां बाप अपने बच्चे के बारे में अच्छे से जानते हैं
इसके अलावा सपा नेता अबू आजमी ने यह भी कहा कि मां बाप अपने बच्चे के बारे में अच्छे से जानते हैं। इसलिए यह उनके ऊपर छोड़ देना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि आप यह कानून बनाइए और इंतजार कीजिए कि जितने आदिवासी या एससी और एसटी लोग हैं जिनमें बचपन में शादी करने का रिवाज है। उनपर मुक़दमे दायर कीजिए और जेल में ज्यादा से ज्यादा लोगों को डाल दीजिए।
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन का कानून लाएगी
लड़की की शादी की उम्र 21 वर्ष करने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद सरकार बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन का कानून लाएगी। साथ ही स्पेशल मैरिज एक्ट और पर्सनल लॉ जैसे नियमों में भी बदलाव किया जाएगा। जया जेटली की अध्यक्षता वाली टास्क फ़ोर्स की सिफारिश के बाद केंद्रीय कैबिनेट ने इसपर मुहर लगाई है। इस कमेटी का गठन साल 2020 में किया गया था।
साल 1978 में लड़के और लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर बने कानून में संशोधन किया गया था
इस टास्क फ़ोर्स का गठन मां बनने की उम्र से संबंधित समस्याएं, मातृ मृत्यु दर को कम करने, पोषण स्तर में सुधार जैसे मुद्दों के लिए किया गया था। इसी टास्क फ़ोर्स ने सुझाव दिया कि पहले बच्चे को जन्म देते समय महिला की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए। गौरतलब है कि साल 1978 में लड़के और लड़कियों की शादी की उम्र को लेकर बने कानून में संशोधन किया गया था। जिसके बाद लड़कों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 और लड़कियों के लिए 18 तय की गई थी।