ईवीएम हैकिंग को लेकर जारी घमासान के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का बयान आया है। सुनील अरोड़ा ने कहा, हम EVM और VVPAT का उपयोग करना जारी रखेंगे। मैं इसे बहुत स्पष्ट करना चाहूंगा कि हम मतपत्रों के युग में वापस नहीं जा रहे हैं। सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘‘इस मशीन को सार्वजनिक क्षेत्र की उन दो कंपनियों ने बेहद पुख्ता तकनीकी सुरक्षा उपायों से लैस करते हुए बनाया है, जो हमारे देश के रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए बहुत उल्लेखनीय काम कर रही हैं।’’
उन्होंने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने वालों और मतपत्र की मांग करने वाले दलों का नाम लिये बिना कहा, ‘‘हम इसे (ईवीएम) फुटबॉल क्यों बना रहे हैं और इस पर छींटाकशी क्यों कर रहे हैं।’’ अरोड़ा ने कहा कि सम्मेलन में मौजूद लोग इस आरोप-प्रत्यारोप के सही या गलत होने पर फैसला करेंगे। अरोड़ा ने कहा कि उस दौर में वापस नहीं लौटा जा सकता है जबकि मतपत्र बाहुबलियों द्वारा लूटे लिये जाते थे, मतगणना में देर होती थी और मतदान कर्मियों का उत्पीड़न भी होता था। इसलिये मौजूदा व्यवस्था ही कायम रहेगी।
गौरतलब है की अमेरिका में राजनीतिक शरण चाहने वाले एक भारतीय साइबर विशेषज्ञ ने दावा किया कि भारत में 2014 के आम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये ‘धांधली’ हुई थी। उसका दावा है कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है। स्काईप के जरिये लंदन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए शख्स ने दावा किया कि 2014 में वह भारत से पलायन कर गया था क्योंकि अपनी टीम के कुछ सदस्यों के मारे जाने की घटना के बाद वह डरा हुआ था।
शख्स की पहचान सैयद शुजा के तौर पर हुई है। उसने दावा किया कि टेलीकॉम क्षेत्र की बड़ी कंपनी रिलायंस जियो ने कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल पाने में बीजेपी की मदद की थी ताकि ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सके। गौरतलब है की ईवीएम हैकिंग की जानकारी के बाद कई पार्टियों ने चुनाव मतपत्रों द्वारा कराये जाने की मांग की थी।
साइबर विशेषज्ञ के ईवीएम हैकिंग के दावे की जांच होनी चाहिए : कपिल सिब्बल
बसपा अध्यक्ष मायावती ने ईवीएम को हैक किये जाने के एक साइबर विशेषज्ञ के दावे का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से अगला लोकसभा चुनाव मतपत्र से ही कराये जाने की मांग की थी। वहीं कांग्रेस ने भी चुनाव आयोग से 50 फीसदी वीवीपैट का मिलान सुनिश्चित करने की मांग की थी।