मानसून सत्र के पहले दिन लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने प्रश्नकाल और गैर सरकारी कामकाज के निलंबन से जुड़े प्रस्ताव रखा तो सदन में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रश्नकाल ‘स्वर्णकाल’ होता है और इसे ‘‘सदन की आत्मा’’ भी कहा जा सकता है।
चौधरी ने आगे कहा यह सरकार की जवाबदेही के लिए होता है। उन्होंने आरोप लगाया कि आजादी के 73 साल के बाद सरकार प्रश्नकाल हटाकर लोकतंत्र का गला घोंटने का काम कर रही है।
एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक महत्वपूर्ण अंग और अधिकारों के विभाजन का हिस्सा होता है । प्रश्नकाल स्थगित करना, इसे कमजोर करने का प्रयास है। उन्होंने इस मुद्दे पर मतविभाजन कराने की मांग की ।
कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि यह सही है कि असाधारण परिस्थितियों में सत्र का आयोजन हो रहा है लेकिन संसद के संचालन की प्रक्रिया संबंधी नियमों को देखें तो स्पष्ट हो जाता है कि प्रश्नकाल को तभी स्थगित किया जा सकता है जब सदन में सर्वसम्मति हो ।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि प्रश्नकाल संसद की कार्यवाही का बुनियादी हिस्सा है। सरकार विधेयक पास कराना चाहती है लेकिन लोग यह सुनना चाहते हैं कि सांसदों के प्रश्नों पर सरकार क्या जवाब देती है।
इस पर संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार चर्चा से नहीं भाग रही है और सभी मुद्दों पर चर्चा को तैयार है। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के काल में कई राज्यों में विधानसभा एक दिन के लिये आयोजित हुई जबकि संसद का सत्र 18 कार्यदिवस का रखा गया है। जोशी ने कहा कि संसदीय लोकतंत्र की दुहाई जो लोग दे रहे हैं, उन्हें 1975 में क्या हुआ था, उसे भी याद करना चाहिए ।