शीर्ष अदालत के न्यायाधीश एवं सुप्रीम कोर्ट की बाल न्याय समिति के अध्यक्ष एस रवींद्र भट ने शनिवार को कहा कि कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान बच्चों की बेहतर देखभाल, सुरक्षा और कुशलक्षेम सुनिश्चित करने के लिए कदमों को मजबूत किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने यह टिप्पणी कोविड-19 की मौजूदा लहर के दौरान बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और कुशलक्षेम के संबंध में विभिन्न राज्यों द्वारा उठाए गए कदमों का जायजा लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट बाल न्याय समिति द्वारा आयोजित समीक्षा बैठक में की। यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित बैठक में इस अवधि में हर जरूरतमंद बच्चे की उचित देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उठाए जाने वाले संभावित कदमों पर भी चर्चा की गई।
भट ने कहा कि कोविड-19 की वजह से कुछ बच्चों के माता-पिता में से एक या दोनों की मौत हो चुकी है और अनेक बच्चे अपने माता-पिता के अस्पतालों में भर्ती होने की वजह से अभिभावकीय देखभाल में नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये बच्चे पहले के मुकाबले अब अधिक संवेदनशील हैं।
सभी हितधारकों द्वारा ठोस प्रयास किए जाने चाहिए जिससे कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।’’ न्यायमूर्ति भट ने सुझाव दिया कि अनाथ, अलग-थलग रह रहे या अकेले बच्चों की अंतरिम देखभाल के लिए एक तंत्र विकसित किया जाना चाहिए तथा इस तरह के बच्चों के बीमार होने या महामारी के लक्षण सामने आने पर उठाए जानेवाले कदमों को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश होने चाहिए।