लुधियाना- बठिंडा : जम्मू-कश्मीर स्थित राजौरी जिले के केरी सेक्टर में पिछले दिनों शहीद हुए लांस नायक 30 वर्षीय कुलदीप सिंह उर्फ बबू निवासी तलवंडी साबो का पार्थिव शरीर रविवार की सुबह पैतृक गांव कौरेआणा लाया गया तो अंतिम यात्रा में शािमल नौजवानों ने पाकिस्तान मुर्दाबाद और भारत मां की जयघोष के साथ गांव के शहीद को सलाम करके अपने जज्बातों का इजहार किया। गांव की ही शमशान भूमि में कुलदीप सिंह का सरकारी सम्मान के साथ सजल आंखों से अंतिम संस्कार किया गया। इससे पहले शहीद के पार्थिव शरीर के पहुंचते ही गांव शोक के माहौल में डूब गया। साथ ही लोगों को इस बात का भी फख्र था कि उनका लाल देश के लिए शहीद हुआ है। इस दौरान हजारों नम आंखों ने शहीद को अंतिम विदाई दी।
इस दौरान प्रशासनिक और विभिन्न सियासी पार्टियों के अलावा सामाजिक और धार्मिक कार्यकर्ताओं के साथ-साथ शहीद के परिवार से जुड़े लोग मौजूद थे। इस अवसर पर बठिण्डा के जिलाधीश ने शहीद के परिवार को 12 लाख रूपए और शहीद की पत्नी को सरकारी नौकरी दिए जाने का ऐलान किया जबकि इसी घटना में पंजाब के सेना के नायक गुरमेल सिंह (34) निवासी अमृतसर का भी गांव अलकेड़ा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शनिवार और रविवार की सुबह से ही दोनों शहीदों के घर पर लोगों का जमावड़ा लगा रहा।
शाम के समय शहीद कुलदीप का का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो आसपास के दर्जनों गांवों के लोग सांत्वना देने के लिए पंहुचे हुए थे। जानकारी के मुताबिक शहीद कुलदीप सिंह 14 साल पहले 2003 में मातृभूमि की सेवा की खातिर सेना में भर्ती हुआ था। सिपाही के तौर पर भर्ती होने वाले कुलदीप सिंह की मेहनत और देश भक्ति का जज्बा देखकर कुछ वक्त पहले ही उसे लॉस नायक का रेंक मिल गया था। वह अपने पीछे अपाहिज मां, बीवी और छह साल का बेटा और दो साल की बेटी छोड़ गया है। यह भी पता चला है कि दो हफते पहले ही वह अपनी छुटटी काटकर वापिस मोर्चे पर गया था और अपनी बीवी को कह गया था कि अगली बार वह उसे अपने साथ ही लेकर जाएंगा परंतु परिवार को क्या पता था कि वह अब हमेशा के लिए रोता-बिलखता छोडक़र चला जाएंगा।
शहीद की मां के मुताबिक, उसका बेटा कहता था कि उसकी रिटायरमेंट में बस एक साल बचा है। उसके बाद घर का बचा हुआ काम पूरा करवाकर मां के पास आकर परिवार सहित रहेंगा। बेटे के गम ने कुलदीप की मां का रो-रोकर बुरा हाल है। विलाप करते हुए उसने कहा कि पहले कुलदीप के पिता हमें छोडक़र चले गए अब कुलदीप भी पत्नी व बच्चों को छोडक़र चला गया। अब मैं यह बुढ़ापा किसके सहारे बिताऊंगी? पाक सेना की नापाक हरकत ने तलवंडी साबो के मां-बेटे के साथ रहने के वर्षो के सपने को चकमा चूर कर अंत्येष्टि के दौरान बेटी पिता की शहीदी को लेकर बेखबर थी। उसे पता ही नहीं चल रहा था कि ये मातम क्यों है।
पति की शहादत के बाद बेसुध हुई शहीद की पत्नी जसप्रीत कौर
पति की शहादत के बाद पत्नी जसप्रीत बेसुध हो गई। वह बार-बार पति को याद कर रही थी। पार्थिव शरीर देखकर बार-बार बोल रही थी कि यह कौन है? कुलदीप सिंह छोटे भाई भगवंत सिंह की शादी करवाने के बाद 17 दिसंबर को ही ड्यूटी पर वापस गया था, वह भी अपने भाई की याद में बार-बार रो रहा था।
– सुनीलराय कामरेड
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