रमेश बिधूड़ी के समर्थन में उतरे सुब्रत पाठक, कहा- ‘जैसे राहुल गांधी ने संसद में आंख मारी, वैसे बिधूड़ी ने गुस्से…’,

रमेश बिधूड़ी के समर्थन में उतरे सुब्रत पाठक, कहा- ‘जैसे राहुल गांधी ने संसद में आंख मारी, वैसे बिधूड़ी ने गुस्से…’,
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भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने सपा सांसद दानिश अली को लेकर दिए आपत्तिजनक बयान के बाद राजनीतिक जुबानी जंग तेज हो गई है, इस घटना के बाद राहुल गांधी ने दानिश अली से मुलाकात की थी, और इसे कांग्रेस ने इसे मोहब्बत की दुकान बताया था, जिसपर अब बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कांग्रेस हमेशा से तुष्टिकरण की राजनीति करती आई है।

उदयनिधि के बयान पर कांग्रेस की चुप्पी को लेकर बोला हमला

किसी धर्म विशेष के कट्टर पंथी पर टिप्पणी नफरत की दुकान है जबकी हिन्दुओं को गाली देकर सनातन की तुलना डेंगू मलेरिया से कर राम चरित मानस को जलाना इस देश में मोहब्बत का प्रतीक है ? ये तुष्टिकरण की ही तो राजनीति है कि पिछले कई दिनों से बसपा सांसद दानिस अली लगातार रमेश बिधूड़ी को हूट कर रहे थे और उस दिन भी बिधुडी जी के बोलते हुए कटाक्ष किए स्वभाव वश फिर वो कंट्रोल नहीं कर सके और ग़ुस्से में अभद्रता कर बैठे , वैसे ही जैसे उत्तेजना वश राहुल गाँधी ने संसद में आँख मारी और सत्ता पक्ष की तरफ फ़्लाइंग किश का इशारा भी किया जिसमें कि महिला सांसद भी बैठी थीं साथ ही संसद में हिंदू भावना को आहत करने बाले भाषण भी घमंडिया गिरोह की ओर से दिये गये , और पिछले दिनों पिछड़े वर्ग के हितैषी दिखने बाले राहुल सहित कई नेता बात जब भारत माता की जय का विरोध करने बाले और प्रधानमंत्री जी को नीच बोलने बाले विशेष वर्ग के दानिस अली की आई तो पिछड़े वर्ग के बिधुड़ी के खिलाफ खड़े दिखाई दिये ये वही लोग हैं।

विशेष समुदाय के प्रति कांग्रेस के रवैए पर उठाए सवाल

आतंकवादी को फाँसी देने पर रात में सुप्रीम कोर्ट खुला देते हैं और मरने पर रात भर रोते हैं इसलिए कि वो आतंकवादी विशेष समुदाय के हैं लेकिन पिछड़े वर्ग के सांसद की १ गलती भी माँफ़ करने को राज़ी नहीं जबकी सदन में स्वयं भाजपा के वरिष्ठ नेता द्वारा सार्वजनिक खेद व्यक्त किया गया माना कि सदन में मर्यादा का ध्यान रखना चाहिये किंतु मर्यादा का हनन करने वाले राहुल गांधी समेत घमंडिया के वो सांसद भी जिन्होंने धार्मिक टिप्पणी कर हिंदुओं की भावना को आहत किया जाँच कर उन पर भी कार्यवाही हो । इसी लिये तो कहते हैं कि तुष्टिकरण भारत छोड़ो ।

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