खम्मम : तेलंगाना में सत्ताधारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के खिलाफ हाथ मिला चुकी विपक्षी पार्टियों को उम्मीद है कि इस दक्षिणी राज्य में उनका यह प्रयोग 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और इसकी सहयोगी पार्टियों से मुकाबले के लिए एक व्यापक गठबंधन बनाने में मददगार होगा। कांग्रेस, तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), तेलंगाना जन समिति (टीजेएस) और भाकपा ने सात दिसंबर को होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में टीआरएस से मुकाबले के लिए ‘प्रजा कुटमी’ (जन गठबंधन) बनाया है।
तेलंगाना में प्रजा कुटमी, भाजपा और टीआरएस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। लेकिन विपक्षी गठबंधन सत्ताधारी टीआरएस पर भाजपा की सहयोगी होने का आरोप लगा रहा है। हालांकि, भाजपा और टीआरएस ने इस आरोप को नकारा है। विपक्षी नेताओं का दावा है कि तेलंगाना में टीआरएस के खिलाफ ‘‘जोरदार लहर’’ है और उनके जन गठबंधन को 75 से ज्यादा सीटें मिलेंगी।
तेलंगाना में विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं। उन्होंने कहा कि तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू 2019 के लोकसभा चुनावों में गैर-भाजपा राजनीतिक पार्टियों को साथ लाने के लिए पहले ही पहल कर चुके हैं और महागठबंधन की पहली बैठक अगले हफ्ते नई दिल्ली में होनी है। भाकपा के राष्ट्रीय सचिव के. नारायण ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘सबसे पहले हम सुनिश्चित करना चाह रहे हैं कि टीआरएस की हार हो ताकि भाजपा का एक मजबूत सहयोगी खत्म हो।
तेलंगाना के चुनावी नतीजे तय करेंगे कि भाजपा से मुकाबले के लिए केंद्र में महागठबंधन किस तरह उभरेगा।’’ उन्होंने आरोप लगाया कि टीआरएस सरकार हमेशा से भाजपा का समर्थन करती रही है और इसी वजह से मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव (केसीआर) भ्रष्टाचार पर टिप्पणी नहीं कर रहे और राफेल करार पर कुछ नहीं बोल रहे। तेलंगाना में ‘प्रजा कुटमी’ की सफलता के केंद्रीय स्तर पर महागठबंधन बनाने में मददगार होने का जिक्र करते हुए नारायण ने कहा कि अलग-अलग राज्यों में चुनाव से पहले और चुनाव के बाद गठबंधन होंगे और इसमें हर राज्य के हित का ख्याल रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर केरल में चुनाव से पहले गठबंधन संभव नहीं है, क्योंकि वाम दल कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे हैं और पश्चिम बंगाल में वाम दल सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ लड़ रहे हैं। बहरहाल, बिहार में लालू प्रसाद यादव के राजद, कांग्रेस, भाकपा और माकपा के बीच पहले से ही चुनाव पूर्व गठबंधन को लेकर ‘‘सहमति बनी हुई है।’’ इसी तरह, तमिलनाडु में द्रमुक और कांग्रेस के बीच गठबंधन है और कर्नाटक में जेडीएस के साथ कांग्रेस का गठबंधन जारी रहेगा। नारायण ने कहा, ‘‘राज्यों के हितों के मुताबिक केंद्र में महा कुटमी बनाया जाएगा। स्थानीय स्तर पर किसी का गठबंधन हो सकता है, लेकिन चुनावों के बाद भाजपा के विरोधी एक साथ आ जाएंगे।
तेदेपा के पोलित ब्यूरो के सदस्य और खम्मम विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद नमा नागेश्वर राव ने नारायण की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि तेलंगाना में प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन ‘‘लोकतांत्रिक अनिवार्यता’’ थी। राव ने कहा, ‘‘हमें अपना लोकतंत्र बचाना है। एक तरफ, टीआरएस राज्य में तेदेपा को नहीं पनपने देना चाहती। असल में केसीआर का करियर तेदेपा से शुरू हुआ, लेकिन वह कह रहे हैं कि तेलंगाना में तेदेपा को आने नहीं देंगे। दूसरी तरफ, भाजपा किसी क्षेत्रीय पार्टी को उभरने नहीं देना चाहती। राज्य एवं केंद्र में इस तरह की तानाशाही के कारण हमें केंद्र में भी महागठबंधन बनाना होगा।’’