नयी दिल्ली : लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने शुक्रवार को कहा कि भारत में मीडिया महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर गलत छवि पेश करता है जबकि वास्तविकता इससे अलग है। भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के 51वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए महाजन ने इस बात पर भी निराशा जताई कि अखबार और टीवी चैनल संसद के अंदर के हंगामे को ही जगह देते हैं और महत्वपूर्ण मुद्दों पर होने वाली चर्चाओं को नजरअंदाज करते हैं। महाजन ने कहा, ‘‘क्या महिलाएं सड़कों पर नहीं चलती हैं… फिर भी लोग कहते हैं कि महिलाएं भारत में सुरक्षित नहीं हैं। जब मैं विदेश जाती हूं तो लोग मुझसे पूछते हैं कि भारत में क्या हो रहा है, मैडम। आपका देश अब सुरक्षित नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने उनसे कहती हूं कि पिछले 75 साल से मैं भारत में हूं, मुझे, मेरी बेटी या बहू को कुछ नहीं हुआ। वहां (भारत) ऐसा कुछ नहीं है। ऐसा तो आपके देश…. हर देश में होता है।’’
महाजन ने सवाल किया, ‘‘हां, लोग अपराध करते हैं। लेकिन, क्या केवल अपराध हो रहे हैं, और कुछ नहीं? राजनीतिक रूप से, क्या केवल अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है या कुछ महत्वपूर्ण भी है जिसके बारे में बोला जा रहा हैं।’’ उन्होंने मीडिया से इस बारे में आत्मनिरीक्षण करने की अपील की कि समाज की सेवा करने के लिए क्या जरूरी है और वे जो खबरें प्रकाशित या प्रसारित कर रहे हैं उनका क्या उद्देश्य है। भाजपा सांसद ने कहा, ‘‘स्थिति के विश्लेषण का कौशल नवोदित पत्रकारों के लिए बेहद जरूरी है।’’ महाजन ने कहा कि आमतौर पर लोग कहते हैं कि संसद में हंगामे का स्तर बहुत ज्यादा है लेकिन ऐसा इसलिए है क्योंकि मीडिया महत्वपूर्ण विषयों को नजरअंदाज करता है। उन्होंने कहा, ‘‘क्या जनसंचार के छात्र सोचते हैं कि संसद में चर्चा या बहस बिल्कुल नहीं होती। यह वास्तविकता नहीं है। चर्चा होती है, लेकिन कई बार अखबार संसद में बोले जाने वाली अच्छी बातों को छापते तक नहीं हैं।’’
महाजन ने अमेरिकी मीडिया द्वारा 11 सितंबर के हमले के संबंध में दी गई प्रशंसनीय खबरों के उदाहरण का हवाला दिया और कहा कि भारतीय अखबारों और टीवी चैनलों को अपने अमेरिकी समकक्षों से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘हमले में हजारों लोग मारे गये। बहुत खून बहा, और खूनखराबे के दृश्य रहे होंगे लेकिन अखबारों में इस तरह की एक भी तस्वीर नहीं दिखी।’’ इस मौके पर महाजन ने संस्थान के छात्रों को अंग्रेजी और हिन्दी के साथ अन्य भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता के डिप्लोमा प्रदान किये। उन्होंने परिसर में अटल बिहारी वाजपेयी मार्ग का उद्घाटन किया और आईआईएमसी के एक छात्र द्वारा संस्कृत में विकसित एक समाचार पोर्टल की शुरुआत की।