सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तबलीगी जमात के कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले 34 विदेशी जमातियों की याचिकाओं की सुनवाई दो जुलाई तक के लिए टाल दी है। इस बीच न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह बताने को कहा कि क्या मरकज आने वाले किसी व्यक्ति का वीजा रद्द करने का कोई आदेश जारी किया गया है? याचिकाकर्ताओं में से एक की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील सी यू सिंह ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि 900 जमातियों को काली सूची में डालने के लिए केवल जनरल नोट जारी किया गया है।
न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, ‘‘लेकिन गृह मंत्रालय की अधिसूचना कहती है कि यह फैसला तो अधिकारियों को अलग-अलग मामलों के आधार पर लिया जाना है। हमें यह पता लगाना होगा कि क्या आदेश जारी किये गये?’’ इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से न्यायालय में दावा किया गया कि वीजा रद्द किये जाने या काली सूची में डाले जाने को लेकर सरकार की ओर से कोई आधिकारिक आदेश पारित नहीं किया गया है। सिर्फ एक प्रेस रिलीज जारी हुई और उनके पासपोर्ट जब्त कर लिये गये।
शिवराज मंत्रिमंडल का कल विस्तार होने की संभावना, संभावित मंत्रियों पर केंद्रीय नेतृत्व लगाएगा अंतिम मुहर
याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी बताया गया कि जमानत की मांग को लेकर कुछ लोगों की अर्जी पर उच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में भी सरकार की ओर से ऐसा कोई आदेश पेश नहीं किया गया। इस पर न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारी समझ के मुताबिक प्रत्येक व्यक्ति के मामले में अलग से आदेश पारित किया जाना चाहिए था, लेकिन हमारे पास सिर्फ एक प्रेस रिलीज है। हम ये जानना चाहते हैं कि क्या हरेक के लिए आदेश जारी हुए?’’ न्यायालय ने दोबारा सुनवाई शुरू की तब इस सवाल के जवाब में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के जूनियर रजत नैयर ने बताया कि याचिका की कॉपी सरकार को नहीं मिली है, इसलिए जवाब नहीं दिया जा सकता। इस पर सिंह ने कहा कि याचिका की कॉपी एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड बलराम दास को दे दी गयी थी।
सिंह ने कहा कि जिन विदेशी जमातियों का वीजा रद्द किया गया है, उनका देश उन्हें वापस बुला रहा है, दूतावासों की ओर से लगातार जानकारियां मंगायी जा रही हैं। बाद में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता खुद स्क्रीन पर प्रकट हुए और उन्होंने न्यायालय से कहा कि सरकार को इस पर जवाब के लिए कुछ और समय चाहिए। परिणामस्वरूप न्यायालय ने दो जुलाई तक मामले की सुनवाई स्थगित कर दी। गत मार्च में तबलीगी जमात के कार्यक्रम में भाग लेने वाले 34 विदेशियों ने अपना वीजा रद्द करने और उन्हें काली सूची में डाले जाने के गृह मंत्रालय के आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। याचिकाकर्ताओं ने वापस घर जाने की इजाजत भी मांगी है।
गौरतलब है कि तबलीगी जमात में शामिल हुए 2500 विदेशी नागरिकों के भारत आने पर 10 साल का प्रतिबंध लगा दिया गया है। इनमें से बहुत से विदेशी नागरिकों को पहले ही काली सूची में डाला जा चुका था। ये सभी टूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे।