सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगे यौन शोषण के आरोप के मामले को कोर्ट ने बंद कर दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने वकील उत्सव बैंस की ओर से इस मामले पर न्यायपालिका को बदनाम करने की साजिश की जांच कराने की मांग वाली याचिका को भी बंद कर दिया है। जस्टिस एके पटनायक समिति की रिपोर्ट के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को बंद किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले को दो साल हो चुके हैं और ऐसे में साजिश की जांच संभव नहीं है।
2019 में तत्कालीन चीफ जस्टिस गोगोई पर एक महिला कर्मचारी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। वर्तमान चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े की अध्यक्षता वाली 3 जजों की आंतरिक कमिटी ने आरोप लगाने वाली महिला समेत मामले से जुड़े सभी लोगों के बयान लिए। तथ्यों की जांच की और जस्टिस गोगोई को निर्दोष पाया।
उसी दौरान एक वकील उत्सव बैंस ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर साज़िश का दावा किया। उन्होंने कहा कि यह पूरा मामला सख्त फैसले ले रहे चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बड़ी साजिश का हिस्सा है। बैंस के लगाए आरोपों की जांच पूर्व जस्टिस पटनायक को सौंपी गई थी। इस कमिटी ने अक्टूबर 2019 में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसे आज कोर्ट में रखा गया।
आज यह मामला जस्टिस संजय किशन कौल, ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम के सामने लगा। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस कौल ने बताया कि कमिटी की जांच किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है। कमिटी ने उत्सव बैंस के आरोपों को देखा। लेकिन व्हाट्सऐप और टेलीग्राम चैट समेत दूसरे इलेक्ट्रॉनिक सबूतों के उपलब्ध न होने के चलते आरोपों को पूरी तरह साबित नहीं किया जा सका।
कोर्ट ने बताया कि कमिटी ने अपनी रिपोर्ट में षड्यंत्र की आशंका से मना नहीं किया है. लेकिन कहा है कि उपलब्ध तथ्यों से उसकी पुष्टि नहीं हो पा रही. कमिटी की रिपोर्ट में उसे मिली आईबी निदेशक की चिट्ठी का भी ज़िक्र है. इस चिट्ठी में बताया गया था कि एनआरसी समेत कई मामलों में कड़े फैसले ले रहे जस्टिस गोगोई के खिलाफ षड्यंत्र की आशंका थी. कोर्ट की रजिस्ट्री में मौजूद गड़बड़ियों को लेकर तत्कालीन चीफ जस्टिस जिस तरह सख्त थे, उसके चलते भी उनकी खिलाफ साजिश हो सकती थी.