देश में दो बच्चे पैदा करने की नीति लागू करने की मांग वाली याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। शीर्ष अदालत ने परिवार नियोजन की मांग वाली अर्जियों को खारिज करते हुए कहा कि यह अदालत का काम नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि इस मामले में सरकार को ही कदम उठाने चाहिए, और वे इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट जनसंख्या विस्फोट को नियंत्रित करने के लिए कड़े और प्रभावी नियम, विनियम और दिशानिर्देश तैयार करने और सरकारी नौकरियों, सहायता, सब्सिडी के साथ-साथ दो बच्चों के मानदंड को अनिवार्य मानदंड बनाने की व्यवहार्यता का पता लगाने के निर्देश देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
टू चाइल्ड पॉलिसी पर न्यायमूर्ति एस के कौल
न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने याचिकाकर्ता द्वारा वापस लिए जाने के कारण इसे खारिज कर दिया और कहा कि, आवेदन में मांगी गई प्रार्थना अदालत के दायरे से बाहर है और सरकार के विचार करने के लिए सबसे अच्छा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट देश का सर्वोच्च न्यायिक निकाय और संविधान के तहत भारत गणराज्य का सर्वोच्च न्यायालय है। यह देश का सबसे वरिष्ठ संवैधानिक न्यायालय है, जो न्यायिक समीक्षा की शक्ति रखता है। भारत के मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के प्रमुख न्यायाधीश होते हैं। सर्वोच्च न्यायालय में अधिकतम 34 न्यायाधीश होते हैं, जिनके पास मूल, अपीलीय और सलाहकार क्षेत्राधिकार के रूप में व्यापक शक्तियां होती है।