नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ जनहित याचिका दायर करने वाले एक अधिवक्ता पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाने का अपना आदेश वापस लेने से मंगलवार को इनकार कर दिया। अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने इस याचिका में जेटली पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूंजी भंडार से जुड़े आरोप लगाए थे।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसफ की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा को तभी सुना जायेगा जब वह शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जुर्माने की रकम 50,000 रुपए जमा करा देंगे। इसी पीठ ने शर्मा की जनहित याचिका खारिज की थी। पीठ ने कहा, ‘‘ हम अपना कोई आदेश वापस नहीं ले रहे हैं। आप पहले 50,000 रुपए जमा करायें, इसके बाद ही हम आपकी किसी पुरानी या नई याचिका पर सुनवाई करेंगे।’’
अधिवक्ता ने व्यक्तिगत हैसियत से यह जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने अपनी याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध करते हुये आरोप लगाया था कि रिजर्व बैंक में अव्यवस्था व्याप्त है और अब इसके गवर्नर उर्जित पटेल ने भी इस्तीफा दे दिया है। शीर्ष अदालत ने उनके अनुरोध पर विचार नहीं किया।
सात दिसंबर को शीर्ष अदालत ने वित्त मंत्री पर रिजर्व बैंक का पूंजी भंडार ‘लूटने’ का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता शर्मा पर पचास हजार रूपए का जुर्माना लगाया था। पीठ ने शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को यह निर्देश भी दिया था कि जुर्माने की पचास हजार रूपए की रकम जमा कराये जाने तक शर्मा को कोई भी जनहित याचिका दायर करने नहीं दिया जाये।