सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव के लिए पश्चिम बंगाल में पर्यवेक्षक के रूप में दो सेवानिवृत्त नौकरशाहों की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से मंगलवार को इंकार कर दिया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति एम आर शाह की अवकाश पीठ ने कहा कि वह इस याचिका पर विचार की इच्छुक नहीं है क्योंकि मतदान खत्म हो चुका है।
हालांकि, पीठ ने पश्चिम बंगाल के बैरकपुर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले याचिकाकर्ता रामू मंडी को कलकत्ता उच्च न्यायालय जाने की स्वतंत्रता प्रदान कर दी। बैरकपुर पश्चिम बंगाल की उन सात संसदीय सीटों में शामिल था जहां पांचवे चरण में मतदान हुआ था।
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याचिका में आरोप लगाया गया था कि दो पर्यवेक्षक-विवेक दुबे और अजय वी नायक- को जनप्रतिनिधित्व कानून के प्रावधानों की अनदेखी करके नियुक्त किया गया है ताकि चुनाव के समय ”कतिपय लाभ” सुनिश्चित किया जा सके। याचिका के अनुसार ये दोनों पर्यवेक्षक सेवानिवृत्त नौकरशाह हैं और इस समय वे ‘‘सरकारी अधिकारी’’ नहीं हैं।
याचिका में कहा गया था कि दुबे को पश्चिम बंगाल और झारखंड के लिये केन्द्रीय पुलिस पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किया गया जबकि नायक को पश्चिम बंगाल के लिये विशेष पर्यवेक्षक बनाया गया। याचिका में आरोप लगाया गया था कि आशंका है कि ये पर्यवेक्षक ‘पक्षपात’ करेंगे क्योंकि उनकी नियुक्ति प्रत्यक्ष रूप से एक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उनके हितों के खिलाफ होगी।