कोरोना वायरस (कोविड-19) की मुफ्त जांच को लेकर दायर की गई याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। इस दौरान कोर्ट ने कहा की कोरोना की जांच निशुल्क होनी चाहिए। वहीं कोरोना जांच के लिए निजी लैब द्वारा लिए जा रहे 4500 रूपये को कोर्ट ने गलत बताते हुए का कहा की वह मनमानी नहीं कर सकते।
कोर्ट ने केंद्र से कहा की सरकार को एक प्रक्रिया बनानी चाहिए, जिससे जो लोग निजी लैब में अपना टेस्ट कराएं। वह इस संबंध में एक उचित आदेश पारित करेगा। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार इस मामले को देखेगी और जो भी इसमें अच्छा किया जा सकता है उसे विकसित करने की कोशिश करेगी।
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तुषार मेहता ने बताया कि अभी 118 लैब प्रति दिन 15000 टेस्ट क्षमता के साथ काम कर रहे हैं। अब हम 47 प्राइवेट लैब को भी टेस्ट की इजाजत देने वाले हैं। यह एक विकासशील स्थिति है। हमें नहीं पता कि कितने लैब की जरूरत होगी और कब तक लॉकडाउन जारी रहेगा।
इसके साथ ही कोर्ट ने कोरोना टेस्ट और उसके रोकथाम में लगे डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर कहा कि ये लोग योद्धा हैं और उनकी और उनके परिवार के लोगों की सुरक्षा बेहद जरूरी है। बता दें कि अधिवक्ता शशांक देव सुधी ने यह याचिका दायर की। इसमें अनुरोध किया गया है कि केंद्र और संबंधित प्राधिकारियों को कोविड-19 की जांच की मुफ्त सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया जाए।