सुप्रीम कोर्ट ने महिला उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षाओं में बैठने की अनुमति देने के अपने अंतरिम आदेश को रद्द करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि वह नहीं चाहता कि महिलाओं को उनके अधिकार से वंचित किया जाए तथा महिलाओं को एनडीए में शामिल करने के लिये एक साल तक प्रतीक्षा नहीं की जा सकती।
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि महिला उम्मीदवारों को एनडीए में प्रवेश परीक्षा में बैठने की अनुमति देने वाली अधिसूचना अगले साल मई तक जारी की जाएगी। न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए सशस्त्र बल सबसे अच्छी प्रतिक्रिया टीम है और उम्मीद है कि बिना देरी किए महिलाओं को एनडीए में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जाएगी।
कोर्ट ने कहा कि रक्षा विभाग को यूपीएससी के सहयोग से जरूरी काम करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता कुश कालरा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता चिन्मय प्रदीप शर्मा की दलीलों पर गौर किया और कहा कि वह महिलाओं को एनडीए में शामिल करने को एक साल तक प्रतीक्षा नहीं की जा सकती।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि महिलाओं के प्रवेश की सुविधा के लिए एक अध्ययन समूह का गठन किया गया है, और इसे सुविधाजनक बनाने के लिए आवश्यक तंत्र मई 2022 तक लागू किया जा सकता है। एएसजी ने 14 नवंबर को होने वाली अगली एनडीए प्रवेश परीक्षा को छोड़ने की अपील की।
पीठ ने कहा, “हम आपकी समस्याओं को समझते हैं। मुझे यकीन है कि आप लोग समाधान खोजने में सक्षम हैं। परीक्षा देने के इच्छुक उम्मीदवारों की आकांक्षाओं को देखते हुए केंद्र से इस अनुरोध को स्वीकार करना हमारे लिए मुश्किल है।” पीठ ने कहा, “सशस्त्र सेवाओं ने बहुत कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। आपात स्थिति से निपटना उनके प्रशिक्षण का एक हिस्सा है। हमें यकीन है कि वे इस ‘आपातकालीन स्थिति’ से पार पाने में भी सक्षम होंगे।”