सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के बागी विधायकों के इस्तीफे के बारे में विधानसभा अध्यक्ष को निर्देश देने संबंधी याचिका पर मंगलवार को फैसला सुरक्षित कर लिया। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायामूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने सभी सम्बद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया।
खंडपीठ बुधवार को पूर्वाह्न साढ़ 10 बजे आदेश सुनाएगी कि क्या सुप्रीम कोर्ट विधायकों के इस्तीफे को निर्धारित अवधि में मंजूर करने का अध्यक्ष को निर्देश दे सकती है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना है कि जिन विधायकों के खिलाफ अयोज्ञ ठहराए जाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, उसके बाद वह अध्यक्ष को इस्तीफे पर फैसला लेने का आदेश दे सकता है या नहीं।
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बागी विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष द्वारा उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किए जाने को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने खंडपीठ के समक्ष दलील दी कि सभी 10 याचिकाकर्ताओं ने गत 10 जुलाई को इस्तीफा दे दिया है और उनमें से केवल दो को अयोज्ञ घोषित करने की कार्यवाही के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।
उन्होंने दलील दी कि जिन दो विधायकों को अयोज्ञ ठहराए जाने की प्रक्रिया शुरू की गयी है, उनमें से एक उमेश जाधव का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है, जबकि अन्य के लिए दोहरा मानदंड क्यों अपनाया जा रहा है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 190 का हवाला देते हुए दलील दी कि यदि कोई विधायक इस्तीफा देता है तो उसे मंजूर किया जाना चाहिए, भले ही उसके खिलाफ अयोज्ञ ठहराए जाने की प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की गयी हो?
उन्होंने कहा,‘‘ मैं (याचिकाकर्ता) यह नहीं कहता कि हमारे खिलाफ अयोज्ञ ठहराए जाने की प्रक्रिया निरस्त की जाए, बल्कि यह प्रक्रिया जारी रहे, लेकिन इस्तीफे को दबाकर नहीं बैठा जाए।