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सर्जिकल स्ट्राइक टिप्पणी : दिग्विजय ने सरकार से फिर पूछे सवाल, कांग्रेस ने बयान को निजी बता झाड़ा पल्ला

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को लेकर अपनी टिप्पणी की वजह से अपनी ही पार्टी व विपक्षी दलों के निशाने पर आए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सफाई दी कि वह सशस्त्र बलों का बेहद सम्मान करते हैं और उनके सवाल सरकार से थे।

‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को लेकर अपनी टिप्पणी की वजह से अपनी ही पार्टी व विपक्षी दलों के निशाने पर आए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सफाई दी कि वह सशस्त्र बलों का बेहद सम्मान करते हैं और उनके सवाल सरकार से थे।
वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की टिप्पणियों को “हास्यास्पद’’ करार दिया और कहा कि सशस्त्र बल ‘असाधारण रूप से अच्छा’ काम कर रहे हैं और उन्हें कोई सबूत दिखाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि पार्टी सिंह के बयान से पूरी तरह से असहमत है।
उधर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर सिंह की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया की है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा, ‘‘कांग्रेस का डीएनए ही पाकिस्तान परस्ती का है। कभी सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगते हैं। कभी राम सेतु के सबूत मांगते हैं, तो कभी इस बात का सबूत मांगते हैं कि राम मंदिर और भगवान राम का अस्तित्व था या नहीं।’’
सिंह के बयान के बाद से भाजपा नेताओं ने आतंकवाद व राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर कांग्रेस के खिलाफ हमलावर तेवर अपना रखे हैं और उनके निशाने पर राहुल गांधी दिखे।
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रीजीजू ने सेवानिवृत्त एयर मार्शल रघुनाथ नांबियार का एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह कहते सुने जा रहे हैं कि बालाकोट हवाई हमला एक ‘शानदार सफलता’ थी।
रीजीजू ने ट्विटर पर वीडियो क्लिप साझा करते हुए कहा, ‘‘यह कांग्रेस पार्टी और उन सभी को जवाब है जो भारतीय सशस्त्र बलों पर सवाल उठाते हैं।’’
भाजपा ने सवाल उठाया कि राहुल ने सशस्त्र बलों के प्रति सार्वजनिक सम्मान के प्रदर्शन में इतना वक्त क्यों लिया। पार्टी ने सिंह के बयान को “निजी राय” बताने के लिये भी राहुल को निशाने पर लिया।
सिंह ने हालांकि अपने बयान को लेकर उठे विवाद के बावजूद सरकार से आज एक के बाद एक कई सवाल ट्विटर पर पूछे।
सिंह ने ट्विटर पर कहा, “मैंने अपने सशस्त्र बलों को सर्वोच्च सम्मान दिया है। मेरी दो बहनों की शादी नौसेना अधिकारियों से हुई थी… रक्षा अधिकारियों से सवाल पूछने का कोई सवाल ही नहीं है। मेरे सवाल मोदी सरकार से हैं।”
उन्होंने कहा, “उस अक्षम्य खुफिया विफलता के लिए कौन जिम्मेदार है जहां हमारे 40 सीआरपीएफ कर्मी शहीद हुए थे? आतंकवादी 300 किलोग्राम आरडीएक्स कहां से ला सकते थे? सीआरपीएफ कर्मियों को एयरलिफ्ट करने के अनुरोध को अस्वीकार क्यों किया गया?”
मंगलवार को सिलसिलेवार किये गए ट्वीट में सिंह ने सरकार से कुछ सवाल किए। कांग्रेस नेता ने पूछा, “जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा आतंकवादियों के साथ पकड़े जाने के बाद पुलवामा के रहने वाले डीएसपी देविंदर सिंह को क्यों छोड़ दिया गया? पुलवामा आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में से एक है, इलाके और वाहनों की जांच और चूक मुक्त बनाने की कार्रवाई क्यों नहीं की गई।”
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “मोदी सरकार से ये मेरे वैध प्रश्न हैं। क्या मुझे एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में तथ्यों को जानने का अधिकार नहीं है? इस गंभीर चूक के लिए किसे दंडित किया गया है? किसी अन्य देश में गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ता।”
राहुल गांधी ने हालांकि साफ किया कि सिंह के मंगलवार को दिए बयान से वह और पार्टी इत्तेफाक नहीं रखते।
गांधी ने जम्मू-कश्मीर में प्रेस वार्ता में कहा, “ऐसे लोग हैं जो बातचीत के दौरान हास्यास्पद बातें कहते हैं। एक वरिष्ठ नेता के बारे में ऐसा कहते हुए मुझे दुख हो रहा है कि उन्होंने हास्यापद बात कही है।”
उन्होंने कहा, “हमें अपनी सेना पर पूरा भरोसा है। अगर सेना कोई काम करती है तो उसे कोई सबूत देने की जरूरत नहीं है। मैं उनके बयान से पूरी तरह असहमत हूं और यह कांग्रेस पार्टी की आधिकारिक स्थिति है कि यह दिग्विजय सिंह का निजी दृष्टिकोण है।”
सिंह ने सोमवार को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ पर सवाल उठाया था और सरकार पर झूठ बोलने का आरोप लगाया था।
जम्मू-कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान एक जनसभा को संबोधित करते हुए, सिंह ने आरोप लगाया कि सीआरपीएफ के कर्मियों को हवाई मार्ग से श्रीनगर से दिल्ली भेजने के बल के अनुरोध पर सरकार सहमत नहीं हुई और 2019 में पुलवामा में एक आतंकी हमले में 40 जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘वे ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की बात करते हैं। वे कई लोगों को मारने की बात करते हैं लेकिन कोई सबूत नहीं दिया। वे झूठ के पुलिंदों के सहारे शासन कर रहे हैं।’’
सिंह के खिलाफ कांग्रेस द्वारा की जा रही कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर गांधी ने कहा कि कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है न कि पार्टी में “तानाशाही” है।
उन्होंने कहा, “हम अपनी पार्टी को जबरदस्ती के सिद्धांत पर नहीं चलाते हैं। हम सिंह के निजी विचारों की सराहना नहीं करते। लेकिन पार्टी के विचार दिग्विजय सिंह के विचारों से ऊपर हैं। पार्टी के भीतर बातचीत से विचार उत्पन्न होते हैं। मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनके विचार…वे विचार नहीं हैं जो पार्टी के केंद्र द्वारा रखे जाते हैं।”
उन्होंने कहा, ‘‘हम बिल्कुल स्पष्ट हैं कि सशस्त्र बल काम करते हैं। वे असाधारण रूप से अच्छा काम करते हैं। उन्हें किसी भी चीज का सबूत देने की जरूरत नहीं है।”
भाजपा नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सर्जिकल स्ट्राइक पर दिग्विजय सिंह की विवादास्पद टिप्पणी को उनकी ‘निजी राय’ बताकर खारिज करने के लिए राहुल गांधी की आलोचना की और सवाल किया कि सशस्त्र बलों के प्रति अपने सम्मान की सार्वजनिक घोषणा करने में उन्हें इतना समय क्यों लगा?
उन्होंने कांग्रेस से आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर भी अपना रुख स्पष्ट करने को भी कहा।
उन्होंने कहा, ‘‘सवाल निजी विचार का नहीं है। सवाल प्रशिक्षण का है। सेना के प्रति सम्मान के स्तर का है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राहुल गांधी हजारों किलोमीटर साथ चलने के बाद भी आप दिग्विजय सिंह को भारत की सेना का सम्मान करना क्यों नहीं सिखा पाए? वह भी कश्मीर के अंदर, ये बड़े शर्म की बात है।’’
प्रसाद ने कहा कि ये देश सेना की शहादत का सबूत नहीं मांगता, उनके बलिदान को सलाम करता है।
उन्होंने कहा कि दिग्विजय सिंह द्वारा विवादास्पद टिप्पणी किए जाने का एक इतिहास रहा है, वह चाहे जाकिर नाइक को शांति का दूत बताया जाना हो या बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के परिवार से मुलाकात कर इस पर सवाल खड़े करना हो।
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद मोदी सरकार पर हमला करने के लिए ‘खून की दलाली’ शब्द का इस्तेमाल किया था और ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग’ को नैतिक समर्थन देने के लिए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) का दौरा किया था।
वहीं जम्मू में शिवसेना डोगरा फ्रंट ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मंगलवार को प्रदर्शन किया।
एसएसडीएफ के अध्यक्ष अशोक गुप्ता के नेतृत्व में बड़ी संख्या में संगठन के कार्यकर्ता जम्मू के रानी पार्क इलाके में एकत्र हुए और दिग्विजय सिंह तथा कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी की।

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