भाजपा पार्टी के नेता और राज्यसभा सासंद ने समलैंगिक विवाह पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह समाज पर क्या प्रभाव डालेगा। जिसेक कारण समाज के नाजुक ताने-बाने को 'चकनाचूर' कर देगा।
सुशील मोदी ने उच्च सदन में शून्यकाल के दौरान इस मुद्दे पर जोर दिया और कहा कि ऐसे सामाजिक मामलों पर दो जज बैठकर फैसला नहीं कर सकते। संसद और समाज में बहस होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लिबरल्स पश्चिम कल्चर को फॉलो कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा है और इस पर केंद्र से जवाब मांगा है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को समलैंगिक जोड़े द्वारा भारत में अपनी शादी को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने याचिका पर नोटिस जारी किया।
अधिवक्ता नूपुर कुमार के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, वर्तमान याचिका यह अनुरोध करते हुए दायर की गई, कि अदालत इस आशय की घोषणा करें कि एलजीबीटीक्यूआईए प्लस समुदाय से संबंधित व्यक्तियों को अपने हेटेरोसेक्सुअल काउंटरपार्ट्स के समान विवाह का अधिकार है। इसलिए एक इनकार भारत के संविधान के भाग 3 के अनुच्छेद 14, 19, और 21 के तहत गारंटीकृत अधिकारों का उल्लंघन है, और नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ और नालसा बनाम भारत संघ सहित सर्वोच्च न्यायालय के विभिन्न निर्णयों में इसे सही ठहराया गया।