भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक सदस्य ने बुधवार को संसद में केंद्रीय विद्यालयों के दाखिले में सांसदों का कोटा समाप्त किए जाने की मांग उठाई। उन्होंने दावा किया कि यह कोटा ही कई सांसदों के हारने का कारण बन रहा है। राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान भाजपा के सुशील कुमार मोदी ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि जब नवोदय विद्याालयों, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम जैसे संस्थानों में सांसदों को दाखिले का अधिकार नहीं है तो केंद्रीय विद्यालयों में यह अधिकार क्यों दिया गया है।
केवल 10 लोगों को ही खुश
उन्होंने कहा कि देश में 788 से अधिक सांसद हैं और एक सांसद के पास 10 छात्रों को प्रवेश दिलाने का कोटा है। इस प्रकार 7880 सीटों पर दाखिला सांसदों की सिफारिश पर की जाती है। उन्होंने कहा कि एक-एक सांसद के पास हजार दो हजार लोग दाखिले के लिए आग्रह लेकर आते हैं लेकिन वह केवल 10 लोगों को ही खुश कर पाते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसकी वजह से सांसदों के प्रति नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसलिए मैं मांग करता हूं कि सांसदों का जो 10 सीट का कोटा है, उसे तत्काल समाप्त किया जाना चाहिए। इन सीटों को ‘ओपन मेरिट’ पर छोड़ दिया जाना चाहिए ताकि गरीब और सामान्य परिवारों के बच्चों को इसका लाभ मिल सके।
सांसद चाहते हैं कोटा समाप्त कर दिया जाए
मोदी ने कहा कि यह मामला सांसदों के चुनाव हारने का एक बहुत बड़ा कारण भी बन रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कई सांसदों से बात की है। अधिकांश सांसद चाहते हैं कि यह कोटा समाप्त कर दिया जाए।’’ उल्लेखनीय है कि लोकसभा के सांसद अपने लोकसभा क्षेत्र में आने वाले केंद्रीय विद्यालयों में अधिकतम 10 बच्चों के दाखिले की सिफारिश कर सकते हैं। इसी तरह राज्यसभा सांसद अपने राज्य के किसी भी केंद्रीय विद्यालय में अधिकतम 10 बच्चों का दाखिला करा सकते हैं।