जेडीएस नेता कुमारस्वामी का शपथ ग्रहण समारोह 2019 लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष की मोर्चेबंदी की तरह देखा जा रहा है। कुमारस्वामी 23 मई की शाम साढ़े चार बजे प्रदेश सचिवालय में कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया कि राज्यपाल वजुभाई वाला कुमारस्वामी को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। विपक्ष के कई बड़े नेता इसमें शामिल हो सकते हैं, इस दौरान कुछ ऐसा नज़ारा भी देखने को मिल सकता है जो कि ऐतिहासिक होगा।
विज्ञप्ति में कहा गया कि कुमारस्वामी लॉर्ड मंजुनाथ, श्रृंगेरी शारदा देवी और मौजूदा शंकराचार्य श्री भारती तीर्थ का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए मंगलवार को धर्मशाला और श्रृंगेरी जाएंगे। कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी सोमवार को अपने मौजूद रहने की पुष्टि कर दी।
कई गैर बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और क्षेत्रीय दलों के प्रमुख भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल रहेंगे। बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और बहुजन समाजवादी पार्टी की प्रमुख मायावती के शपथ ग्रहण समारोह में पहुंचने की उम्मीद है।
- जेडीएस और कांग्रेस दोनों का गठबन्धन कर्नाटक में अब सरकार बनाने से कुछ ही क़दम दूर हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि कुमारस्वामी की सरकार कबतक चलेगी।
- तक़रीबन 12 साल पहले कुमारस्वामी और बीएस येद्दयुरप्पा ने जेडीएस-बीजेपी गठबन्धन की सरकार बनाई थी इस शर्त पर कि बचे हुए 40 महीनों में से 20 महीने कुमारस्वामी और 20 महीने येद्दयुरप्पा मुख्यमंत्री होंगे।
- जब येदियुरप्पा की बारी आई तो जेडीएस ने समर्थन देने से मना कर दिया और ये गठबन्धन टूट गया। इसीलिए इस बार कांग्रेस ने मुख्यमंत्री बदलने की शर्त नहीं रखी है यानी 5 सालों तक कुमारस्वामी ही मुख्यमंत्री रहेंगे।
- वहीं एचडी कुमारस्वामी ने सोनिया और राहुल से मुलाकात से पहले ही मीडिया से बातचीत में साफ कि कांग्रेस ने कोई शर्त नही रखी है इस बार. दोनों पार्टियों से बारी-बारी से मुख्यमंत्री नहीं होंगे।
- वहीं राहुल गांधी की तरफ से साफ निर्देश है कि गठबंधन सरकार के रास्ते मे रोड़ा अटकाने वालों को बख़्शा नहीं जाएगा। साफ है कि राहुल का लक्ष्य 2019 का लोक सभा चुनाव और विपक्षी एकता है।
- लेकिन दोनों पार्टियों में विवाद इतना है कि ये भी तय नही हो पा रहा है कि कुमारस्वामी के साथ उप मुख्यमंत्री भी शपथ लेंगे या नहीं और कितने उप मुख्यमंत्री होंगे।
- गृह मंत्रालय किसके पास होगा? डीजीपी, मुख्य सचिव सिद्धारमैया की पसंद की हैं ऐसे में उनको लेकर भी विवाद है।
- मुस्लिम भी एक उप मुख्यमंत्री की मांग कर रहे हैं और दूसरा मुख्यमंत्री अगर होगा तो वो लिंगायत ही होगा. ताकि कांग्रेस और जेडीएस को लिंगायत अपना विरोधी न मान लें।
- सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस दो उप मुख्यमंत्री पद की मांग कर रही है. एक लिंगायत समुदाय का नेता से और दूसरा दलित होगा। लेकिन जेडीएस इसे मान नहीं रही है. डीके शिवकुमार और एब पाटिल के नाम इन पदों के लिए आगे चल रहे हैं।
- वहीं कांग्रेस कैबिनेट में भी बड़ा हिस्सा चाहती है। कांग्रेस के पास 78 और जेडीएस के पास 38 विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक 33 कैबिनेट मंत्रियों में से 20 कांग्रेस के कोटे से हो सकते हैं। कांग्रेस नेता रामलिंगा रेड्डी ने इस मुद्दे पर कहा, ‘हम को सबको संतुष्ट नहीं कर सकते। कुछ लोगों को बलिदान देना होगा’।
- वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा है कुमारस्वामी और पार्टी के आलाकमान की बैठक में सिर्फ सत्ता में साझीदारी ही नहीं भविष्य को लेकर भी चर्चा हुई है।
- वहीं कांग्रेस के एक दूसरे वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार से जब उप मुख्यमंत्री और मतभेदों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने टालने की मुद्रा में कहा, ‘देखिये इसपर मैं कुछ नही कहना चाहता हूं. हमारे बीच बहुत से मुद्दे हैं और विकल्प हैं जिसके बारे समय आने पर ही कुछ कहूंगा।’
- ऐसा लग रहा है कि गठबन्धन के दोनों धड़ों को राजनीतिक मजबूरी एक प्लेटफार्म पर लाई है ऐसे में ये गठबंधन 2019 के लोक सभा चुनावों तक तो चलेगा इसका दोनों को भरोसा है लेकिन उसके बाद क्या होगा ये कहना मुश्किल है।
- विपक्षी पार्टियों के नेताओं को शपथग्रहण के लिए बुलाया गया है। जिनमें आंध प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू, तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, बंगाल के सीएम ममता बनर्जी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के भी आने की संभावना है।
- गौरतलब है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 104, कांग्रेस को 79 और जेडीएस को 38 सीटें मिली हैं।
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