एक बार फिर मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी हो रही है। तेलगु देशम पार्टी (TDP)ने मॉनसून सत्र में नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए कोशिशें तेज़ कर दी है। वहीं टीडीपी ने इसके लिए विपक्षी दलों से समर्थन मांगा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद वाई एस चौधरी की अगुवाई में टीडीपी का एक प्रतिनिधिमंडल रविवार को यहां टीआरएस सांसद के केशव राव और ए पी जितेंद्र रेड्डी से मिला। जितेंद्र रेड्डी ने बताया कि टीडीपी ने संसद में आंध्रप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पर बहस के लिए स्थगन प्रस्ताव तथा (मोदी सरकार के विरुद्ध) उसके अविश्वास प्रस्ताव के लिए टीआरएस का समर्थन मांगा।
उन्होंने कहा , ‘टीडीपी ने कहा कि वह स्थगन प्रस्ताव लाएगी। राज्य पुनर्गठन अधिनियम (पर बहस) के लिए स्थगन प्रस्ताव। यदि राज्य पुनर्गठन (पर बहस) की इजाजत दी जाती है तो हमने कहा कि हम उसका समर्थन करेंगे। क्योंकि हमारे मुद्दे भी पुनर्गठन अधिनियम में लंबित हैं।’ 18 जुलाई से शुरू हो रहे मॉनसून सत्र से पहले पार्टी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू ने अविश्वास प्रस्ताव पर समर्थन के लिए अलग-अलग दलों को चिट्ठी लिखी है। चंद्रबाबू नायडू आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर बीजेपी से समर्थन न मिलने के चलते उनकी पार्टी पहले ही केंद्र सरकार और एनडीए से बाहर हो गई है। एनडीए छोड़ने के बाद टीडीपी फिलहाल संयुक्त विपक्ष का औपचारिक हिस्सा नहीं है।
ऐसे में सोमवार को दिल्ली में विपक्षी दलों ने फैसला किया कि अगर टीडीपी अविश्वास प्रस्ताव को आगे नहीं बढ़ाती है तो कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को इस संबंध में अपने-अपने प्रस्ताव आगे बढ़ाना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी दलों की बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने देश के सामने आने वाले अलग-अलग मुद्दों पर सरकार को घेरने में विपक्षी समर्थन की मांग की है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक में सभी दलों से कहा है कि अगर तेलगु देशम पार्टी मोदी सरकार के खिलाफ संसद में अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाती है तो फिर ये काम उन्हें करना होगा।