हैदराबाद : तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को राज्य विधानसभा अध्यक्ष और दल-बदल करने वाले कांग्रेस के 12 विधायकों को नोटिस जारी किये। दरअसल, कांग्रेस विधायक दल के दो तिहाई सदस्यों के टीआरएस में विलय करने को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति शमीम अख्तर की खंडपीठ ने विधान सभा अध्यक्ष , विधानसभा सचिव और कांग्रेस के 12 विधायकों को नोटिस जारी किये। इन सभी को चार हफ्तों के अंदर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है।
कांग्रेस विधायक दल के नेता एम भट्टी विक्रमार्का और तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रमुख एन उत्तम कुमार रेड्डी ने सोमवार को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
याचिका में विधानसभा अध्यक्ष पोचारम श्रीनिवास रेड्डी के निर्देश पर तेलंगाना राज्य विधानसभा सचिव द्वारा जारी किए गए विलय के बुलेटिन को स्थगित करने की मांग की गयी है।
गौरतलब है कि तेलंगाना में कांग्रेस को एक तगड़ा झटका देते हुए स्पीकर ने छह जून को उसके 18 में से 12 विधायकों को टीआरएस विधायक दल के सदस्य के तौर पर मान्यता दे दी। दरअसल, इसके कुछ ही घंटे पहले उन्होंने अपने समूह को सत्तारूढ़ दल में विलय की मंजूरी देने का अनुरोध किया था।
बुलेटिन के मुताबिक, अध्यक्ष ने दलबदल करने वाले विधायकों के अनुरोध को इस तथ्य पर विचार करते हुए स्वीकार कर लिया था कि उनकी संख्या कांग्रेस के विधायक दल की दो-तिहाई है जो दलबदल रोधी कानून के तहत विलय के लिए जरूरी है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि किसी राजनीतिक पार्टी या विधायक दल के अन्य दल में विलय की घोषणा करना जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत चुनाव आयोग को प्रदत्त एक सांविधिक कर्तव्य है, ना कि विधानसभा अध्यक्ष का।
याचिकाकर्ताओं के वकील जे. रवि शंकर ने संवाददाताओं को बताया कि याचिका पर सुनवाई करने के बाद पीठ ने विधान सभा अध्यक्ष, विधानसभा सचिव और कांग्रेस के 12 विधायकों को नोटिस जारी किया तथा उनसे चार हफ्तों के अंदर अपना जवाब सौंपने को कहा।
उच्च न्यायालय ने मंगलवार को विधान सभा अध्यक्ष और तेलंगाना विधान परिषद के सभापति , विधानसभा और विधानपरिषद के सचिवों को नोटिस जारी कर उनसे दो रिट याचिकाओं पर अपना जवाब देने का निर्देश दिया था। ये याचिकाएं कांग्रेस के चार एमएलसी और 10 विधायकों के खिलाफ दायर किए गए हैं।