टेरर फंडिंग : NIA कोर्ट ने हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन पर UAPA के तहत केस दर्ज करने का दिया आदेश - Latest News In Hindi, Breaking News In Hindi, ताजा ख़बरें, Daily News In Hindi

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टेरर फंडिंग : NIA कोर्ट ने हाफिज सईद और सैयद सलाहुद्दीन पर UAPA के तहत केस दर्ज करने का दिया आदेश

कोर्ट कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में हाफिज सईद, हिजबुल के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासिन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट ने टेरर फंडिंग के मामले में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के सरगना हाफिज सईद, हिजबुल के प्रमुख सैयद सलाउद्दीन, कश्मीरी अलगाववादी नेता यासिन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम व अन्य के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। 
एनआईए कोर्ट ने पाया कि आतंकी फंडिंग के लिए पैसा पाकिस्तान और उसकी एजेंसियों की ओर से भेजा गया था और यहां तक कि राजनयिक मिशन का इस्तेमाल भी नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए किया गया था।कोर्ट ने नोट किया कि घोषित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और खूंखार आरोपी हाफिज सईद द्वारा आतंकी फंडिंग के लिए भारत में पैसा भी भेजा गया था। इन सभी के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि निवारक कानून (UAPA) की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज हैं। इनमें से कई पाकिस्तान में हैं तो कुछ भारतीय जेलों में बंद हैं। 
कश्मीरी राजनेता पर भी दर्ज होगा केस
कोर्ट ने कश्मीरी राजनेता और पूर्व विधायक राशिद इंजीनियर, व्यवसायी जहूर अहमद शाह वटाली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहमद शाह, नईम खान, बशीर अहमद भट, उर्फ पीर सैफुल्ला और कई अन्य के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय करने का भी आदेश दिया। जिसमें भारतीय दंड संहिता और यूएपीए जिसमें आपराधिक साजिश, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ना, गैरकानूनी गतिविधियां आदि शामिल हैं।
एनआईए के स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने 16 मार्च को पारित एक आदेश में कहा, “उपरोक्त विश्लेषण से पता चलता है कि गवाहों के बयान और दस्तावेजी सबूतों ने लगभग सभी आरोपियों को एक दूसरे के साथ और अलगाव की एक सामान्य वस्तु से जोड़ा है, उनके साधनों की समानता से। पाकिस्तानी प्रतिष्ठान के मार्गदर्शन और वित्त पोषण के तहत आतंकवादी/आतंकवादी संगठनों के साथ उनके घनिष्ठ संबंध का उपयोग करना था”।
कोर्ट ने कहा कि, बहस के दौरान किसी भी आरोपी ने यह तर्क नहीं दिया कि व्यक्तिगत रूप से उनकी कोई अलगाववादी विचारधारा या एजेंडा नहीं है या उन्होंने अलगाव के लिए काम नहीं किया है या तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को भारत सरकार से अलग करने की वकालत नहीं की है। 

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