लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

कश्मीर में आतंकवादियों, अलगाववादियों को झेलनी पड़ेगी कठोरता एवं कठिनाई : अमित शाह

गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस संकल्प और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है।

घाटी सहित जम्मू कश्मीर के प्रत्येक हिस्से के लोगों के विकास के प्रति नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रतिबद्धता जताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि राज्य में ‘‘आतंकवाद एवं अलगाववाद’’ को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा तथा ऐसे लोगों को ‘‘कठोरता एवं कठिनाइयों’’ का सामना करना पड़ेगा। 
शाह ने यह भी कहा कि राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग जब भी तैयार होगा, केन्द्र सरकार एक दिन की भी देरी नहीं करेगी। 
शाह ने जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जनवरी 2019 तक बढ़ाने संबंधी संकल्प तथा जम्मू और कश्मीर आरक्षण विधेयक (संशोधन) विधेयक 2019 पर एक साथ हुई चर्चा के जवाब में राज्यसभा में यह बात कही। 
गृह मंत्री के जवाब के बाद सदन ने इस संकल्प और विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा इन्हें पहले ही पारित कर चुकी है। 
उच्च सदन ने अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष द्वारा पेश प्रस्ताव को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया। इससे पहले शाह ने चर्चा का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें यह बात सर्वमान्य रूप से सामने आयी है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। यह संदेश जम्मू कश्मीर मुद्दे का हल निकालने और घाटी के लोगों का मनोबल बढ़ाने में मददगार होगा। 
उन्होंने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न अंग है और इसे हिन्दुस्तान से कोई अलग नहीं कर सकता।’’ उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति ‘‘कतई बर्दाश्त नहीं करने ’’ की नीति है और हम उसको हर पल निभाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
गृह मंत्री शाह ने स्पष्ट किया कि कश्मीर एक पुरानी समस्या है और इसके समाधान के लिए हमें नयी सोच अपनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार मानती है कि घाटी के लोगों का विकास हो तथा वहां के लोगों का भी देश के बाकी हिस्सों की तरह विकास हो सके। 
उन्होंने कहा, ‘‘किंतु हम आतंकवाद एवं अलगाववाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि जो भारत के संविधान को नहीं मानता, हम उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकते। ऐसे लोगों के साथ कठोरता भी बरती जायेगी और उन्हें कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ेगा।’’ 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जम्मू, कश्मीर और लद्दाख के ‘‘सम विकास’’ के लक्ष्य के लिए काम रही है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार पूर्व की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के ‘जम्हूरियत, कश्मीरियत एवं इंसानियत’’ के मंत्र पर चल रही है। जम्हूरियत को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का काम मोदी सरकार ने किया। राज्य में 40 हजार पंच और सरपंचों तक चुनाव के माध्यम से जम्हूरियत को ले जाने का काम मोदी सरकार ने किया। 
गृह मंत्री ने सवाल किया, ‘‘सूफी परंपरा क्या कश्मीरियत का अंग नहीं था? कश्मीरी पंडितों को घर से निकाल दिया गया। क्या वे कश्मीरियत का हिस्सा नहीं है। हिन्दू-मुस्लिमों की एकता की बात करने वाले सूफी संतों को एक एक कर मार दिया गया। उनकी बात क्यों नहीं की जा रही? कश्मीरियत की बात करते समय इनकी बात भी की जानी चाहिए।’’ 
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीति है कि कश्मीरी संस्कृति का संरक्षण किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं निराशावादी व्यक्ति नहीं हूं। एक दिन आयेगा जब मां खीरभवानी के मंदिर में कश्मीरी पंडित पूजा करेंगे और सूफी संत भी दिखाई देंगे।’’ 
शाह ने कहा कि इंसानियत के नाम पर मोदी सरकार ने पिछले छह सालों में कश्मीर की महिलाओं को घरों तक गैस कनेक्शन पहुंचाया। आयुष्मान भारत का सर्वाधिक कवरेज किसी राज्य में है तो वह जम्मू कश्मीर में है। उन्होंने राज्य में बनाये गये सस्ते आवास, शौचालयों और बुजुर्ग एवं विधवा पेंशन के आंकड़ों का भी उल्लेख किया। 
आतंकवाद का जिक्र करते हुये शाह ने कहा, ‘‘हमारी यह स्पष्ट नयी नीति है..‘‘जो भारत को तोड़ने का प्रयास करेगा, हम उसे उसी की भाषा में जवाब देंगे। जो हमारे साथ रहेगा हम उसके कल्याण का काम करेंगे।’’ 
चुनी हुई राज्य सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाने संबंधी अनुच्छेद 356 के प्रयोग पर विपक्ष के कई सदस्यों की आपत्ति पर शाह ने कहा कि हम भी मानते, जानते और सहमत हैं कि अनुच्छेद 356 का कम से कम प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि देश में अभी तक 132 बार 356 का प्रयोग हुआ। कांग्रेस सरकार के शासनकाल में 93 बार इसका प्रयोग किया। 
उन्होंने कहा कि हमने तो इसका प्रयोग ‘‘परिस्थितिजन्य’’ किया है। लेकिन कांग्रेस ने केरल में सबसे पहले इसका इस्तेमाल कर इस प्रावधान के दुरुपयोग का रास्ता खोला था। उन्होंने कहा कि उस समय पंडित जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री थे। 
चर्चा के दौरान कई दलों के सदस्यों ने इस बात पर भी सवाल उठाये कि जब राज्य में लोकसभा चुनाव करवाये गये तो उसी समय विधानसभा के चुनाव क्यों नहीं करवाये गये। 
इसका उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि जम्मू कश्मीर की स्थिति में हम सभी दल, अभी तक ऐसी स्थिति का निर्माण नहीं कर पाये हैं जिसमें विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को सुरक्षा मुहैया करायी जा सके। इसमें करीब एक हजार प्रत्याशी खड़े होंगे। उन्हें सुरक्षा देना, मुश्किल होता। सुरक्षा एजेंसियों ने दोनों चुनाव एक साथ कराये जाने पर प्रत्याशियों को सुरक्षा मुहैया कराने में असमर्थता जतायी थी। 
हालांकि शाह ने पूरे देश में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने की मोदी सरकार की पहल का विरोध कर रहे विपक्षी दलों पर कटाक्ष करते हुये कहा कि अगर सभी दल एकमत हों तो वह कल ही लोकसभा में इस बावत प्रस्ताव पेश करने के लिये तैयार हैं। 
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि चुनाव आयोग राज्य में विधानसभा चुनाव करवाने के लिए तैयार होता है तो हम (केन्द्र सरकार) एक भी दिन की देरी नहीं करेंगे। 
उन्होंने कहा,‘‘ हमें राष्ट्रपति शासन लगाने का कोई शौक नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी काफी लोकप्रिय हैं और ‘‘भगवान की कृपा से हमारी (भाजपा की) 16 राज्यों में सरकारें हैं।’’ 
भाजपा द्वारा राज्य में पीडीपी से हाथ मिलाकर सरकार बनाने और बाद में गठबंधन से हट जाने के विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए शाह ने कहा, ‘‘ पीडीपी के साथ हम समझौता करें, यह हमारा निर्णय नहीं था बल्कि जम्मू कश्मीर की जनता का निर्णय था। चुनाव में खंडित जनादेश आया था। अलगाववाद की समस्या बढ़ने पर हमें जब लगा कि पानी सिर से ऊपर जा रहा है तो हमने तनिक भी देर किए बिना पीडीपी नीत सरकार से समर्थन वापस ले लिया।’’ 
उन्होंने कश्मीर घाटी में स्कूल जलाये जाने की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि जो नेता वहां के स्कूल जलवाने और बंद करवाने की बात कर रहे हैं, उनके स्वयं के बच्चे विदेशों में पढ़ लिख कर मोटी कमाई कर रहे हैं। 
गृह मंत्री ने घाटी के लोगों को संदेश दिया कि वे ऐसे नेताओं के बहकावे में न आये और अपने बच्चों के हाथों में पत्थर देने के बजाय उन्हें स्कूल में शिक्षा के लिए भेजें। 
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि तीन जुलाई 2019 को समाप्त हो रही थी तथा संसद में यह प्रस्ताव पारित होने तथा अन्य कानूनी औपचारिकताओं के बाद राज्य में इसकी अवधि छह महीने के लिये बढ़ जायेगी। जम्मू और कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक 2019 के तहत राज्य के जम्मू, सांभा और कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप बसी ग्रामीण आबादी को आरक्षण देने का प्रावधान है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

13 + 20 =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।