सरकार ने उज्ज्वला योजना के तहत लाभार्थियों को 2020 तक गैस कनेक्शन मुहैया कराने का लक्ष्य समय से पहले हासिल करने का भरोसा व्यक्त करते हुये कहा है कि इस योजना के तहत लाभार्थियों की गैस की औसत खपत चार सिलेंडर है और 80 प्रतिशत लाभार्थियों ने एक से अधिक बार गैस सिलेंडर के लिये आवेदन किया है।
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने राज्यसभा में बुधवार को प्रश्नकाल के दौरान यह जानकारी दी। प्रधान ने रसोई गैस उपभोक्ताओं के गैस उपभोग के बारे में बताया कि उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों की गैस सिलेंडर की सालाना खपत चार सिलेंडर है जबकि सामान्य उपभोक्ता की खपत सात सिलेंडर है। उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों का विवरण देते हुये प्रधान ने बताया कि योजना का लक्ष्य 2020 तक देश में आठ करोड़ लोगों को गैस कनेक्शन देने का है। अब तक 7.5 करोड़ कनेक्शन दिये जा चुके हैं और शेष लक्षित लाभार्थियों को निर्धारित समय से पहले कनेक्शन दे दिये जायेंगे।
उत्तर प्रदेश में धुआं रहित भोजन सुविधा मुहैया कराने से जुड़े पूरक प्रश्न के सवाल पर उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में कुल 3.84 करोड़ परिवार हैं, इनमें से 3.74 करोड़ (98 प्रतिशत) परिवारों के पास गैस कनेक्शन की सुविधा है। इनमें 1.32 करोड़ परिवारों को उज्ज्वला योजना में गैस कनेक्शन मिला है। कांग्रेस के भुवनेश्वर कालिता ने उज्जवला योजना को सरकार की सबसे कारगर योजना बताते हुये इसकी सफलता के लिये सरकार को बधाई दी। इतनी अधिक संख्या में कनेक्शन देने के बाद इन्हें बाद में गैस आपूर्ति के इंतजाम के सवाल पर प्रधान ने बताया कि इसके लिये सरकार ने पूरे देश में व्यापक पैमाने पर एलपीजी स्टेशन और बॉटलिंग प्लांट शुरु किये हैं।
भविष्य में एलपीजी की मांग में तीव्र वृद्धि को देखते हुये हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के समुद्र तट से गोरखपुर तक 2000 किमी की गैस पाइपलाइन का काम शुरू किया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश को इस मामले में प्राथमिकता वाला राज्य बताते हुये कहा कि 12 हजार करोड़ रुपये की लागत से दुनिया की सबसे बड़ी एलपीजी पाइपलाइन बन रही है।