होली के समय दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की छात्राओं पर गुब्बारे में सीमन भरकर फेंकने के मामले में नया खुलासा हुआ है। मामले की फॉरेंसिक जांच रिपोर्ट में सच सामने आया है। जांच रिपोर्ट में साफ हुआ है कि लड़कियों के कपड़ों पर मिले दाग या निशान सीमन के नही हैं।
पुलिस ने बुधवार को बताया कि छात्रा के कपड़ों की फोरेंसिक जांच में यह बात झूठ पाई गई है कि उसपर सीमन भरा गुब्बारा फेंका गया था। होली से पहले फरवरी में छात्रा ने आरोप लगाया था कि कुछ लोगों ने उसके ऊपर सीमन भरा गुब्बारा फेंका था। उसकी शिकायत के आधार पर ग्रेटर कैलाश थाने में केस दर्ज हुआ था। पुलिस ने लड़की के कपड़ों को फरेंसिक जांच के लिए भेजा था।
पुलिस ने बताया कि करीब 2 महीने बाद, जांच से यह बात खारिज हुई है कि गुब्बारों में सीमन भरा था। उन्होंने बताया कि गुब्बारे में कौनी सी चीज थी, उसकी जांच की जा रही है। आरोप लगाने वाली छात्रा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर वाकये की जानकारी दी थी, जिसके बाद इस मामले में केस दर्ज किया गया था।
पूर्वोत्तर की रहने वाली डीयू छात्रा ने 24 फरवरी को अपने इंस्टाग्राम पोस्ट में कहा, ‘मैं अमर कॉलोनी मार्केट में अपने एक मित्र के साथ एक कैफे में दोपहर भोज के लिए गई थी। जब मैं रिक्शे में बैठकर वापस आ रही थी तो कुछ लोग आए और मेरी तरफ तरल पदार्थ से भरा गुब्बारा फेंक दिया जो मेरे कूल्हे से टकराया और यह फट गया तथा इसमें भरी चीज के अंश मेरी ड्रेस पर फैल गए। मेरी काली लैगिंग पर सफेद निशान पड़ गए। मैं अनुमान नहीं लगा सकी कि असल में यह क्या था, लेकिन जब मैं हॉस्टल पहुंची तो सहेली ने बताया कि गुब्बारे में स्पर्म था।
आपको बता दे कि इस मामले में पुलिस ने एक शख्स को भी गिरफ्तार किया था. ग्रेटर कैलाश थाने में यह मामला दर्ज किया गया था. पुलिस ने धारा 188 और 144 के तहत आरोपी को गिरफ्तार किया था. सवाल ये है कि अब जब रिपोर्ट में यह बात साबित हुई है कि गुब्बारे में सीमन नहीं भरा था तो उस आरोपी का क्या होगा?
अन्य विशेष खबरों के लिए पढ़िये पंजाब केसरी की अन्य रिपोर्ट।