विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत-प्रशांत की अवधारणा “आने वाले वाले कल की भविष्यवाणी नहीं, बल्कि बीते कल की वास्तविकता है” और यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयास करने की जरूरत है कि यह एक “खुला, मुक्त और समावेशी मंच” है।
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जयशंकर यहां 11वें ‘‘दिल्ली संवाद’’ के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा एक खुले और समावेशी भारत-प्रशांत मंच के लिए यह “सभी के हित में है कि वे यह सुनिश्चित करें कि (इस मंच के) दरवाजे सहयोग के लिए यथासंभव खुले रहें।”