हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में आज की सुनवाई खत्म हो चुकी है। कल फिर इस मामले में सुनवाई होगी। आज भी हाई कोर्ट में इस मामले में कोई ठोस हल निकला। सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा दायर याचिकाओं में से एक को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह विचारणीय नहीं है। कर्नाटक HC ने सामाजिक कार्यकर्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील रहमथुल्ला कोतवाल से कहा कि आप इतने महत्वपूर्ण मामले में अदालत का कीमती समय बर्बाद कर रहे हैं। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील विनोद कुलकर्णी (जिनकी याचिका विचाराधीन है) ने कोर्ट में कहा, यह मुद्दा उन्माद पैदा कर रहा है और मुस्लिम लड़कियों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है।
विनोद कुलकर्णी ने कहा, “शुक्रवार जुमा
पार्टी-इन-पर्सन विनोद कुलकर्णी ने पीठ से छात्राओं के शुक्रवार की रोज स्कूलों में हिजाब पहनने की अनुमति देने का अनुरोध किया। विनोद कुलकर्णी ने कहा, “शुक्रवार जुमा है। कृपया, अभी के लिए छात्राओं को कम से कम शुक्रवार को हिजाब पहनने की अनुमति दें। यह अंतरिम आदेश सामूहिक उन्माद पैदा कर रहा है। अदालत ने जवाब दिया कि ठीक है, हम आपके अनुरोध पर विचार करेंगे।
पीठ ने कहा, हम संतुष्ट नहीं हैं कि यह जनहित ….
इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रहमथुल्ला कोठवाल ने मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) का हवाला देते हुए कहा कि यूडीएचआर के अनुसार, सभी को धर्म की स्वतंत्रता और अंतरात्मा की स्वतंत्रता है।
वहीं, हिजाब विवाद को लेकर कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक सामाजिक कार्यकर्ता की याचिका खारिज कर दी। पीठ ने कहा, हम संतुष्ट नहीं हैं कि यह जनहित याचिका नियमों के अनुसार दायर की गई है। वहीं, गुरुवार को शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर अनुमति को लेकर दायर याचिका फिर स्थगित हो गई है। अब मामले की अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी।
कल हाई कोर्ट में दी गई थीं ये दलीलें
बता दें कि बुधवार को याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से तमाम दलीलें दी गई थीं. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण एस. दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की पीठ के सामने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रोफेसर रविवर्मा कुमार ने कहा था सरकार अकेले हिजाब को क्यों मुद्दा बना रही है..चूड़ी पहने हिंदू लड़कियों और क्रॉस पहनने वाली ईसाई लड़कियों को स्कूल से बाहर क्यों नहीं भेजा जाता है। कुमार ने कहा देश में झुमका, क्रास, हिजाब, बुर्का, चूडि़यां और पगड़ी पहनी जाती है। महिलाएं ललाट पर बिंदी भी लगाती हैं। मगर सरकार ने इनमें से सिर्फ हिजाब को ही चुना और उस पर पाबंदी लगाई ऐसा भेदभाव क्यों? क्या चूड़ी धार्मिक प्रतीक नहीं?