उत्तराखंड में स्थित विश्वप्रसिद्ध उच्च गढ़वाल हिमालयी धामों केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट बुधवार को भैयादूज के पावन पर्व पर परंपरागत पूजा पाठ और विधि- विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए ।
भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय स्वर लहरियों के बीच केदारनाथ मंदिर के कपाट सुबह साढ़े आठ बजे शीतकाल के लिए बंद किए गए । कपाट बंद होने के मौके पर कड़ाके की ठंड के बावजूद दो हज़ार से ज्यादा तीर्थयात्री भगवान के दर्शन के लिए केदारनाथ में मौजूद थे और 'जय केदार', 'बम बम भोले' और 'ऊं नम: शिवाय' का उदघोष कर रहे थे साथ ही इस मौके पर केदारनाथ मंदिर को विशेष रूप से फूलों से सजाया गया था।
वही,केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के बाद यमुनोत्री धाम के भी कपाट 11:57 मिनट पर पूरे विधि-विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद हो गए।
इस दौरान मां यमुना के जयकारों से पूरा मंदिर परिसर गूंज उठा। इसके बाद मां यमुना और शनिदेव की डोली अपने गद्दी स्थल खरसाली खुशी मैथ के लिए रवाना हुई।
यमुनोत्री धाम के कपाट अभिजीत मुहूर्त में विधि-विधान से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कई श्रद्धालु इस पल के साक्षी बने। यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के शीतकाल के 6 महीने मां यमुना के दर्शन खरसाली खुशी मैथ में होंगे।
कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की उत्सव डोली जैसे ही खरशाली गांव पहुंचेगी, वहां स्थानीय लोग मां यमुना का स्वागत बेटी की तरह करते हैं।
यहां मां यमुना छह माह तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगी। इस साल चारधाम यात्रा को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। इस साल यमुनोत्री धाम के दर्शन करने के लिए 735,040 (7 लाख 35 हजार 40 ) श्रद्धालु पहुंचे।
आपको बता दे कि गंगोत्री धाम के कपाट मंगलवार को अन्नकूट के पर्व पर बंद हुए थे जबकि बदरीनाथ मंदिर के कपाट 18 नवंबर को बंद होंगे । सर्दियों में बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारधामों के कपाट हर साल अक्टूबर-नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिए जाते हैं जो अगले साल अप्रैल-मई में फिर खोल दिए जाते हैं ।