असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की बहुप्रतीक्षित अंतिम सूची शनिवार सुबह ऑनलाइन जारी होगी जिसके मद्देनजर पूरे राज्य में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गयी है।
एनआरसी की अंतिम सूची से यह पहचान हो सकेगी कि असम में रहने वाला कोई व्यक्ति भारतीय है अथवा विदेशी। पिछले वर्ष 21 जुलाई को जारी की गयी एनआरसी सूची में 3.29 करोड़ लोगों में से 40.37 लाख लोगों का नाम नहीं शामिल था। अब अंतिम सूची में उन लोगों के नाम शामिल किए जाएंगे, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।
असम सरकार ने सभी व्यवस्थाएं की हैं ताकि लोग आसान तरीके से एनआरसी की अंतिम सूची में अपना नाम जांच सकें। इसके लिए विशेष तौर पर कई सेवा केन्द्र बनाये गये हैं।
सरकार ने पहले ही साफ कर दिया है कि किसी व्यक्ति का एनआरसी सूची में नाम शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि उसे विदेशी घोषित कर दिया गया है। अंतिम एनआरसी सूची से बाहर रह गए सभी लोगों को ‘विदेशी न्यायाधिकरण’ में अपील करने का अधिकार होगा तथा इसके बाद वे उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में भी अपील कर सकते हैं।
अपील के लिए समय सीमा भी 60 दिन से बढ़कर 120 दिन कर दी गयी है और किसी भी व्यक्ति को तब तक हिरासत केंद, में नहीं भेजा जाएगा जब तक कि सभी कानूनी विकल्पों का उपयोग नहीं कर लिया जाये। राज्य सरकार ऐसे लोगों को मुफ्त कानूनी मदद भी मुहैया करायेगी जो अपने मामले न्यायाधिकरण के समक्ष रखने के लिए वकीलों का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक पूरे असम में सुरक्षा व्यवस्था कड़ कर दी गई है। इसके अलावा राज्य के संवेदनशील इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है। राज्य में एनआरसी पर अंतिम सूची जारी किए जाने से पहले यहां 14 जिलों को संवेदनशील घोषित किया गया है हालांकि इन जिलों के नाम सामने नहीं आए हैं।
असम में साल 1951 के बाद पहली बार नागरिकता की पहचान की जा रही है। इसकी प्रमुख वजह राज्य में बड़ संख्या में अवैध तरीके से रह रहे लोग हैं। एनआरसी की अंतिम सूची उच्चतम न्यायालय की निगरानी में बन रही है।