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सर्जिकल स्ट्राइक पर पूर्व आर्मी चीफ ने तोड़ी चुप्पी, बोले – उरी का बदला लेना था मुझे

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नई दिल्ली : 18 सितंबर 2016 की शाम तत्कालीन सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग उरी में थे, इसी दिन सुबह के समय आतंकियों ने आर्मी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला किया था, जिसमें 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। जनरल सुहाग ने उरी में ही यह तय कर लिया था कि एलओसी के पार सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देने की जरूरत है। जनरल इस बात को लेकर निश्चित थे कि सैनिकों की मौत का बदला लेना है। सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर अब तक बोलने से इनकार करने वाले जनरल दलबीर सुहाग ने सर्जिकल स्ट्राइक पर चुप्पी तोड़ते हुए इसका खुलासा किया। जनरल सुहाग पिछले दिसंबर में सेना से रिटायर हुए।

रिटायर्ड जनरल ने इस बात का भी खुलासा किया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में अंजाम दी गई 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक अपने तरह की पहली सैन्य कार्रवाई थी, जिसे राजनीतिक मंजूरी मिली थी। इससे पहले के ऑपेरशन चिन्हित थे और उनके लिए सरकार की सहमति की जरूरत नहीं होती। सहज और चिन्हित स्थानों पर किए गए ऑपरेशन की व्याखा करते हुए सुहाग ने कहा कि पिछले साल हुई सर्जिकल स्ट्राइक की तुलना सेना द्वारा किए गए अन्य ऑपरेशन से नहीं किया जा सकता। क्योंकि उन ऑपरेशन को राजनीतिक सहमति नहीं थी।

सर्जिकल स्ट्राइक को कौन सी चीज अन्य ऑपरेशन्स से अलग करती है के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस तरह के ऑपरेशन पहले अंजाम नहीं दिए गए जिसमें एक साथ 250 किलोमीटर के दायरे में कई आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया हो। सुहाग ने खुलासा किया कि भले ही 18 सितंबर को उरी ब्रिगेड हेडक्वार्टर पर हमला हुआ और इसका सीधा बदला लेने के लिए कार्रवाई की गई, लेकिन सर्जिकल स्ट्राइक करने की योजना बहुत पहले से शुरू हो गई थी।

पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि एलओसी के उस पार सर्जिकल स्ट्राइक करने की योजना 2015 में म्यांमार में एनएससीएन (के) को निशाना बनाने के लिए हुई क्रास बॉर्डर कार्रवाई के बाद शुरू हुई। बता दें कि 2015 में एक उग्रवादी हमले में 18 सैनिकों की शहादत के बाद भारतीय सेना का विशेष दस्ता नागा उग्रवादियों को निशाना बनाने के लिए सीमा पार गया था।

जनरल सुहाग ने कहा कि म्यांमार में ऑपरेशन के बाद उन्हें स्पष्ट हो गया था कि आतंकी हमले होने पर आर्मी को कश्मीर में एलओसी के पार हमले करने के लिए कहा जा सकता है। उन्होंने बताया कि यह स्पष्ट था कि अगर आतंकी हमला होता है, तो इस तरह की कार्रवाई करने को कहा जा सकता है। सुहाग ने तुंरत नॉर्दर्न आर्मी कमांडर को इस बारे में प्लान तैयार करने और ट्रेनिंग शुरू करने को कहा।

यह पूछे जाने पर की जनरल सुहाग को कब महसूस हुआ कि उनकी सेना को दुश्मन के इलाके में क्रास एलओसी स्ट्राइक लॉन्च करने की आवश्यकता है? यह वही समय था जब जनरल सुहाग ने आतंकी हमले के बाद उरी ब्रिगेड का दौरा किया। उन्होंने कहा कि मुझे स्पष्ट था कि सैनिकों की शहादत का बदला लेना है। सेना ने इसके कुछ प्लान तैयार किए और बाद में मोदी सरकार ने इसकी समीक्षा की, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं इसकी समीक्षा की।

सुहाग ने कहा कि नई दिल्ली में आर्मी हेडक्वार्टर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बारे में जानकारी दी गई। प्रधानमंत्री और सरकार की सबसे बड़ी चिंता ये थी कि ‘सभी सैनिकों का सुरक्षित वापस आना सुनिश्चित हो। अगर कोई हताहत भी होता है, तो उसकी बॉडी को पीछे न छोड़ा जाए।’ उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने स्ट्राइक की अनुमति देकर एक बोल्ड फैसला लिया और सेना पर भरोसा किया। सितंबर 28 और 29 की रात को सर्जिकल स्ट्राइक लॉन्च की गई, जोकि 2015 में म्यांमार में की गई कार्रवाई के मुकाबले ज्यादा मुश्किल थी।

सुहाग ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर में ऑपरेशन को अंजाम देने की कार्रवाई ज्यादा मुश्किल थी। भारत-पाकिस्तान सीमा पर दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने खड़े हैं। यह बिल्कुल आसान नहीं था कि सैनिको को एलओसी के उस पार भेजा जाए और उन्हें वापस ले आया जाए।

जब उनसे पूछा गया कि क्या सर्जिकल स्ट्राइक अनुमानित प्रभाव हासिल करने में कामयाब रही, तो सुहाग ने कहा कि पिछले साल हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद भारत ने दुनिया को अनिश्चितता जैसी चीज का परिचय कराया है। जनरल ने कहा कि पिछले साल हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद सीमा पर कोई बड़ा हमला नहीं हुआ। सुहाग ने अपनी बात जनरल बिपिन रावत की बात को दोहराते हुए खत्म की और कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो भारत, पाकिस्तान में फिर सर्जिकल स्ट्राइक करेगा।

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