कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुए किसान आंदोलन पर गुरुवार को एक बड़ा फैसला आने की उम्मीद है। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, सरकार के साथ किसानों की सहमति नहीं हुई है, बल्कि कुछ मांगों पर समझौता हुआ है। सिंघु बॉर्डर पर एसकेएम को मांगों पर सरकार से लिखित पत्र के आने का इंतजार है। ऐसे में किसानों ने आज बैठक रखी है, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी।
आंदोलन पर तभी आगे विचार होगा जब सरकार की तरफ से लिखित में कुछ आएगा
राकेश टिकैत ने बताया, आंदोलन पर तभी आगे विचार होगा जब सरकार की तरफ से लिखित में कुछ आएगा। सरकार से अभी हमारी सहमति नहीं बनी है, बल्कि समझौता हुआ है। सहमति पूर्ण रूप से करना और समझौता होना दोनों में फर्क है। साथ ही सरकार के साथ जो हमारे 5 सदस्यों ने समझौता किया, उसे हम पूर्ण रूप से मान रहे हैं।
अभी बहुत बातें रह रहीं है, उनपर बातचीत होती रहेगी
प्रस्ताव में लखीमपुर खीरी का मामला शामिल नहीं था ? इस सवाल पर टिकैत ने कहा, अभी बहुत बातें रह रहीं है, उनपर बातचीत होती रहेगी, आंदोलन पर कुछ मांगे वापस भी हुई हैं। कुछ महीनों में उत्तरप्रदेश चुनाव होने है क्या किसानों का मिशन यूपी जारी है? इस सवाल पर उन्होंने कहा, फिलहाल कुछ तय नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, उत्तरप्रदेश में बिजली बहुत महंगी है। यूपी के लेवल पर हमारी कोई बात नहीं हुई, हम जल्द ही अपनी कुछ मांगों पर यूपी सरकार और मुख्यमंत्री से बैठक करेंगे। हमने एक साल से सरकार के साथ कोई बैठक नहीं की है।
अभी लखीमपुर खीरी मामले में मुआवजा नहीं मिला है
क्या उत्तरप्रदेश सरकार के साथ कोई बातचीत हुई, बीते चुनाव में आपने बीजेपी को सहयोग दिया था, इसबार कोई पहल ? इस सवाल पर टिकैत बोले, अभी लखीमपुर खीरी मामले में मुआवजा नहीं मिला है, जबकि मुआवजा हमारे समझौते में था। गन्ने का रेट और भुगतान एक बड़ा मामला है। साथ ही बिजली के रेट वहां पर सबसे महंगे है, बहुत से सवाल है जिनपर सरकार के साथ बात करनी है।
सिंघु बॉर्डर पर हुई बैठक में अलग अलग राज्यों के किसानों को समझाया जा रहा था, किसान नेताओं द्वारा क्या कोई मतभेद था ? इस सवाल पर टिकैत ने बताया, बहुत सारी बातों पर ऐतराज रहता है। जब बड़े लेवल पर समझौता होता है तो कुछ मांगों को छोड़ना पड़ता है, हरियाणा राज्य के किसानों के भी कुछ मसले हैं। वहीं उत्तरप्रदेश सरकार के बाद हरियाणा सरकार के साथ मिलकर उनका समाधान किया जाएगा। क्या किसान शक्ति प्रदर्शन कर दिल्ली की सीमाओं से जाएंगे या शांतिपूर्ण तरह से ? इस सवाल पर टिकैत ने कहा, हम शांतिपूर्ण तरह से बॉर्डर से वापस जाएंगे, इसमें न कोई जश्न की जरूरत नहीं है। आर्थिक रूप से भी हमने बहुत नुकसान झेला है, वहीं कई किसान शहीद भी हुए हैं।
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