सरकार समुद्री मात्स्यकी, एक्वाकल्चर और मेरिन कल्चर को बढ़ावा देने के मकसद से अगले पाँच वर्षों के लिए 45,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ पहली राष्ट्रीय मत्स्य नीति का मसौदा तैयार कर रही है।
मौजूदा नीति केवल समुद्री मत्स्य उद्योग के बारे में है जिसमें सालाना 43 लाख टन का है। लेकिन अंतर्देशीय मत्स्य पालन पर कोई नीति नहीं है जहां शेष 2.3 करोड़ टन मछली उत्पादन होता है।
सूत्रों ने कहा कि नवगठित मतस्यपालन मंत्रालय एक नयी व्यापक नीति पर काम कर रहा है जो मत्स्यपालन क्षेत्र के सभी आयामों को अपने दायरे में लेगा।
सरकारी सूत्रों ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘मत्स्यपालन क्षेत्र में कभी कोई नीति नहीं होती थी। अब, एक नई नीति बनाई जा रही है। यह ‘ट्रेसेबिलिटी’ के मुद्दों को संबोधित करने के अलावा समुद्री, एक्वाकल्चर और मेरिनकल्चर को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगी।’’
सूत्रों ने बताया कि मसौदा नीति को मंजूरी के लिए जल्द ही मंत्रिमंडल के समक्ष रखा जाएगा। इस नीति को लागू करने के लिए अगले पांच वर्षों में 45,000 करोड़ रुपये के बजट की जरुरत होगी।
मूल रूप से, कोई नीति सरकार के इरादे को सामने लाता है। किसी नीति को लागू करने के लिए, अधिनियम या कार्यकारी आदेश के रूप में कुछ कानून और नियमों की आवश्यकता होती है। इसके साथ मौद्रिक समर्थन देने के लिए विभिन्न योजनाओं को तैयार किया जाता है। कोई योजनाएं केवल 5-10 वर्षों तक रहती हैं, लेकिन कोई नीति लंबी अवधि के लिए होती है।
मौजूदा समय में, दो मत्स्यपालन योजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं। उनमें से एक है मत्स्यपालन आधारभूत ढांचा विकास कोष जो पांच वर्ष की योजना है। अन्य एक मत्स्य विकास योजना है जो विश्व बैंक द्वारा आंशिक रूप से वित्त पोषित है। यह योजना आठ साल के लिए है।
जुलाई 2019 के बजट में घोषित की गई तीसरी योजना ‘प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना’ है जिसे अभी कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है। इसका उद्देश्य उचित नीति, विपणन और बुनियादी ढांचे के समर्थन के माध्यम से मछली और जलीय उत्पादों को बढ़ावा देना है।