लोकसभा चुनाव 2024

पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

दूसरा चरण - 26 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

89 सीट

तीसरा चरण - 7 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

94 सीट

चौथा चरण - 13 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

96 सीट

पांचवां चरण - 20 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

49 सीट

छठा चरण - 25 मई

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

सातवां चरण - 1 जून

Days
Hours
Minutes
Seconds

57 सीट

लोकसभा चुनाव पहला चरण - 19 अप्रैल

Days
Hours
Minutes
Seconds

102 सीट

व्यभिचार संबंधी धारा 497 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी, फैसला बाद में

उच्चतम न्यायालय ने व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर आज

उच्चतम न्यायालय ने व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर आज सुनवाई पूरी कर ली। न्यायालय इस मामले में फैसला बाद में सुनायेगा।

प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जायेगा। धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर छह दिन सुनवाई की।

केन्द्र की ओर से अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि व्याभिचार अपराध है क्योंकि इससे विवाह और परिवार बर्बाद होते हैं। उन्होंने कहा कि विवाह की एक संस्था के रूप में पवित्रता को ध्यान में रखते हुये ही व्याभिचार को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।

कठुआ गैंगरेप मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर राज्य सरकार को भेजा नोटिस

सुनवाई के दौरान पीठ ने केन्द्र से जानना चाहा कि व्याभिचार संबंधी कानूनी प्रावधान से जनता की क्या भलाई है क्योंकि इसमें यह व्यवस्था है कि यदि स्त्री के विवाहेत्तर संबंधों को उसके पति की सहमति हो तो यह अपराध नहीं होगा।

पीठ ने सवाल किया, ‘‘इसमें विवाह की पवित्रता कहां है, यदि पति की सहमति ली गयी है तो फिर यह व्याभिचार नहीं है।’’ पीठ ने टिप्पणी की, ‘‘यह सहमति क्या है। यदि ऐसे संबंध को पति की सहमति है तो यह अपराध नहीं होगा। यह क्या है? धारा 497 में ऐसी कौन सी जनता की भलाई निहित है जिसके लिये यह (व्याभिचार) अपराध है।’’

संविधान पीठ ने ये टिप्पणियां उस वक्त कीं जब केन्द्र ने व्याभिचार को अपराध की श्रेणी में बनाये रखने का अनुरोध करते हुये कहा कि इससे विवाह की पवित्रता को खतरा रहता है।

SC ने मीडिया से पीड़ितों की तस्वीरें प्रकाशित/प्रसारित नहीं करने को कहा

अतिरिक्त सालिसीटर जनरल ने कहा कि विवाहेत्तर संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने संबंधी विदेशी फैसले पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए और भारत में प्रचलित सामाजिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुये वर्तमान मामले में फैसला करना होगा।

पीठ ने दंड संहिता के इस प्रावधान में तारतम्यता नहीं होने का जिक्र करते हुये कहा कि विवाह की पवित्रता बनाये रखने का जिम्मा पति पर नहीं सिर्फ महिला पर ही है।

इस मामले में पहली नजर में न्यायालय का मत था कि दंड विधि ‘लैंगिक तटस्थता’’ के सिद्धांत पर काम करती है लेकिन धारा 497 में इसका अभाव है।

धारा 377 के मसले को हम अदालत के विवेक पर छोड़ते हैं : केंद्र

158 साल पुरानी भारतीय दंड संहिता की धारा 497 कहती है कि यदि कोई पुरूष यह जानते हुये भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौनाचार करता है तो वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा।

यह बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा। इस अपराध के लिये पुरूष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा हो सकती है पंरतु महिला को इस अपराध के लिये प्रेरित करने के लिये दण्डित नहीं किया जायेगा।

शीर्ष अदालत ने धारा 497 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली एक अप्रवासी भारतीय की याचिका पांच जनवरी को संविधान पीठ को सौंपी थी। याचिकाकर्ता का कहना है कि इस अपराध में महिला की समान भागीदारी होती है, अत: इसके लिये प्रेरित करने के आरोप में उसे भी दंडित किया जाना चाहिए।

इस मामले को संविधान पीठ को सौंपने से पहले प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि पहली नजर में यह प्रावधान पक्षपातपूर्ण लगता है। पीठ का कहना था कि सामान्यतया, दंड विधि लैंगिक तटस्थता पर चलती है परंतु इस प्रावधान में यह अवधारणा नदारद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

5 × two =

पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।