आज यानी 26 दिसंबर को साल 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण लगने वाला है. ये सूर्य ग्रहण इस साल का तीसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण होगा। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी को लगा था जबकि दूसरा सूर्य ग्रहण 2 जुलाई को लगा था।
आपको बता दे कि इस वर्ष का अंतिम का खंडग्रास सूर्य ग्रहण है और यह दुर्लभ ग्रह-स्थिति में हो रहा है। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है।
वही इसी को लेकर आज एक वरिष्ठ खगोल विज्ञानी ने कहा है कि 26 दिसंबर को होने वाले सूर्य ग्रहण देखने वाले लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए और उन्हें सुरक्षित उपकरणों तथा उचित तकनीकों का उपयोग करना चाहिए क्योंकि सूर्य की अवरक्त और पराबैंगनी किरणें आंखों को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर सकती हैं।
सूर्य ग्रहण तब होता है जब सूर्य और पृथ्वी के बीच चन्द्रमा आ जाता है तथा सूर्य पूरी तरह से या आंशिक रूप से ढक जाता है।
एम. पी. बिड़ला प्लेनेटोरियम के निदेशक देवी प्रसाद दुआरी के अनुसार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का व्यास सूर्य से छोटा होता है और सूर्य के अधिकांश प्रकाश को ढक लेता है। इसके कारण सूर्य अग्नि की अंगूठी के समान दिखाई देता है।
दुआरी ने पीटीआई-भाषा से कहा कि किसी व्यक्ति को उचित सुरक्षा के बिना थोड़ी देर के लिए भी सीधे सूर्य की ओर नहीं देखना चाहिए। यहां तक कि जब सूर्य का 99 प्रतिशत हिस्सा आंशिक ग्रहण के दौरान चंद्रमा द्वारा ढक लिया जाता है, तब भी शेष प्रकाश आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है।
उन्होंने कहा कि विकिरण से बचाव में सक्षम ऑप्टिकल घनत्व वाले सौर फिल्टर आंखों के लिए सुरक्षित हैं और उनका उपयोग देखने के लिए करना चाहिए। नग्न आंखों से ग्रहण को नहीं देखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वेल्डर ग्लास संख्या 14 सौर फिल्टर के रूप में एक सुरक्षित सामग्री है। उनके अनुसार, सूर्य ग्रहण देखने की सबसे अच्छी विधि उपयुक्त सतह पर दूरबीन या पिनहोल कैमरा का उपयोग है।
गुरुवार का सूर्य ग्रहण सऊदी अरब, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, ओमान, भारत, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, उत्तरी मारियाना द्वीप और गुआम में दिखाई देगा।
गुरूकुलम आवासीय विद्यालय से छात्र देख सकेंगे सूर्य ग्रहण
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र ने शासकीय गुरूकुलम आवासीय विद्यालय बावड़याकला में 26 दिसंबर को होने वाले सूर्य ग्रहण को उच्च तकनीक की दूरबीन से देखने की विशेष व्यवस्था की है। सूर्य ग्रहण 26 दिसंबर को भोपाल में सुबह प्रात: 8.10 से 11 बजे तक देखा जा सकेगा।
आधिकारिक जानकारी के अनुसार क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र के खगोलीय वैज्ञानिक छात्रों और आमजन को खगोलीय घटना की जानकारी देंगे। इस मौके पर केंद्र के प्रभारी अधिकारी कृष्णेन्दु चौधरी और मेपकास्ट के प्रधान वैज्ञानिक विकास सेंडे अपनी टीम के साथ उपस्थित रहेंगे।
गुरुवार को सूर्य ग्रहण में दुर्लभ संयोग वर्ष 1723 जैसी ग्रह स्थिति
इस वर्ष का अंतिम का खंडग्रास सूर्य ग्रहण है और यह दुर्लभ ग्रह-स्थिति में हो रहा है। वृद्धि योग और मूल नक्षत्र में हो रहे इस सूर्य ग्रहण के दौरान गुरुवार और अमावस्या का संयोग बन रहा है। वहीं, धनु राशि में छह ग्रह एक साथ हैं।
ज्योतिषाचार्य डॉ. शैलेश कुमार मोदनवाल ने आज यहां बताया कि ऐसा दुर्लभ सूर्यग्रहण 296 साल पहले सात जनवरी 1723 को हुआ था। उसके बाद ग्रह-नक्षत्रों की वैसी ही स्थिति 26 दिसम्बर को रहेगी।
उन्होंने कहा कि पौष कृष्ण अमावस्या 26 दिसम्बर गुरुवार को खंडग्रास सूर्यग्रहण लग रहा है। काशी समय के तहत ग्रहण का स्पर्श सुबह में आठ बजकर 21 मिनट, ग्रहण का मध्य सुबह नौ बजकर 40 मिनट और ग्रहण का मोक्ष सुबह 11 बजकर 14 मिनट पर होगा। इस तरह ग्रहण की कुल अवधि दो घंटे 53 मिनट होगी। ग्रहण का सूतक 12 घंटे पूर्व यानि बुधवार को रात आठ बजकर 21 बजे से लग जाएगा।
यह ग्रहण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि में लग रहा है। इसलिए मूल नक्षत्र के जातक को इस ग्रहण को नहीं देखना चाहिए। ग्रहण काल में भगवान सूर्य एवं विष्णु के मंत्रों का जाप, भगवत नाम संकीर्तन विशेष लाभदाई है। तीर्थ स्नान, हवन तथा ध्यानादि शुभ काम इस समय में किए जाने पर शुभ तथा कल्याणकारी सिद्ध होते हैं।
उन्होंने बताया कि सूतक व ग्रहण के समय भगवान की मूर्ति को स्पर्श करना निषिद्ध माना गया है। खाना-पीना, सोना, नाखून काटना, भोजन बनाना, तेल लगाना आदि कार्य भी इस समय में वर्जित है। सूतक काल में बच्चे, बूढ़, गर्भावस्था स्त्री आदि को उचित भोजन लेने में कोई परहेज नहीं है।
सूतक आरंभ होने से पहले ही अचार, मुरब्बा, दूध, दही अथवा अन्य खाद्य पदार्थों में कुशा तृण या तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए। उन्होंने बताया कि यह सूर्य ग्रहण तुला, कुंभ व मीन राशियों के लिए शुभ फलदाई है।