एनडीए का साथ छोड़कर हाल ही में महागठबंधन में शामिल हुए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं हिंदुस्तान अवाम माेरचा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष की मुश्किलें बढ़ती दिख रही है। पार्टी के नेता और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह ने रविवार को पटना में जीतन राम मांझी के खिलाफ खोला मोर्चा खोलते हुए पार्टी पर दावा ठोक दिया। नरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान बताया कि मांझी का ये फैसला सुप्रीमोवाद का परिचायक है।
उन्होंने कहा कि मैं मांझी के साथ बुरे दिन में भी रहा और उनको सीएम से हटाने का विरोध करता रहा। मांझी से मेरा कोई स्वार्थ नहीं रहा फिर भी मैं उनके साथ रहा। सीएम नीतीश कुमार से मेरे रिश्ते काफी अच्छे थे फिर भी मैं विरोध कर मांझी के साथ रहा लेकिन मांझी द्वारा पार्टी में इस तरह का फैसला लेने के कदम से मुझे अफसोस है। वो अपने बेटे के लिये ये सब कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि जब हमलोग जेडीयू से अलग हुए तो मोर्च का निर्माण किया गया लेकिन धीरे-धीरे ये मोर्चा पार्टी बन गया। इस बड़े फैसले से पहले 8 अप्रैल को हम की रैली होनी थी लेकिन आनन-फानन में मांझी ने ये फैसला लिया। इतने बड़े फैसले के लिये न तो पार्टी के राज्य और न ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गई।
पूर्व मंत्री ने कहा कि जब हमलोग जदयू से अलग हुए तो गरीब, दलितों को सामाजिक न्याय दिलाने की मंशा से मोर्च का निर्माण किया गया। लेकिन धीरे-धीरे ये मोर्चा पार्टी बन गया। इस बड़े फैसले से पहले 8 अप्रैल को हम की रैली होनी थी, लेकिन आनन-फानन में मांझी ने ये फैसला लिया। इतने बड़े फैसले के लिये न तो पार्टी के राज्य और न ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की गयी।
आपको बता दे कि उपचुनाव में सबसे अधिक सरगर्मी जहानाबाद विधानसभा सीट पर है। राजग की ओर से जदयू ने यहां अपना प्रत्याशी उतारा है। हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी पहले इस सीट पर अपना उम्मीदवार देना चाहते थे। अब जबकि वह राजग से नाता तोड़ महागठबंधन में आ गए हैं। वह राजग प्रत्याशी को पराजित करने का हर संभव प्रयास करेंगे। इधर, जदयू को भी अंदाजा है कि यह सीट, उसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपचुनाव नहीं लडऩे के फैसले पर पुनर्विचार के बाद उसने यहां अपना प्रत्याशी दिया है।
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