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राज्यसभा की राह देख रहे कांग्रेस नेताओं की फेहरिस्त लंबी, लेकिन सीटें सीमित

राज्यसभा की 55 सीटों के लिए हो रहे चुनावों में कांग्रेस को भले ही नौ सीटें मिलने की संभावना है, लेकिन अकांक्षियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है ।

राज्यसभा की 55 सीटों के लिए हो रहे चुनावों में कांग्रेस को भले ही नौ सीटें मिलने की संभावना है, लेकिन अकांक्षियों की फेहरिस्त बहुत लंबी है । और पार्टी सूत्रों की मानें तो नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती पुरानी एवं नयी पीढ़ी के नेताओं के बीच संतुलन बनाने तथा कुछ जगहों पर नाराज नेताओं को शांत कराने की है। राज्यसभा के लिए कांग्रेस के जिन नेताओं के नामों की अटकलें चल रही हैं उनमें से एक नेता ने कहा, ”जब भी राज्यसभा के चुनाव होते हैं तो कई दावेदारों के नाम सामने आते हैं। पार्टी के लिए काम करने वाले हर किसी कार्यकर्ता के अंदर यह आकांक्षा होती है कि उसे टिकट या कोई जिम्मेदारी दी जाए। लेकिन फैसला तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी करेंगी।” 
आगामी 26 मार्च को 17 राज्यों की जिन 55 सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें से कांग्रेस को जो नौ सीटें मिल सकती हैं वो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान से दो-दो और महाराष्ट्र , गुजरात एवं हरियाणा से एक-एक सीटें हैं। चुनाव आयोग की ओर से 25 फरवरी को घोषित चुनाव कार्यक्रम के मुताबिक राज्यसभा के लिए 17 राज्यों की 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होंगे । ये सभी सीटें अप्रैल में रिक्त हो रही हैं । 
चुनाव के लिए छह मार्च को अधिसूचना जारी होगी, 13 मार्च को नामांकन, 16 को नामांकन पत्रों की जांच और 18 मार्च को नाम वापस लेने की अंतिम तारीख होगी। सूत्रों का कहना है कि अगर कांग्रेस के प्रबंधक असम में एआईयूडीएफ और असम गण परिषद का समर्थन जुटाने में सफल हो जाते हैं तथा पश्चिम बंगाल में वाम दलों या फिर तृणमूल कांग्रेस का साथ हासिल कर लेते हैं तो कांग्रेस के लिए दो सीट की गुंजाइश और बन सकती हैं। 
कांग्रेस के एक सूत्र के मुताबिक राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन के समय पार्टी नेतृत्व के लिए बड़ी चुनौती पुरानी एवं नयी पीढ़ी के नेताओं के बीच संतुलन बनाने तथा कुछ जगहों पर नाराज नेताओं को शांत कराने की है। पार्टी की तरफ से इस बार जिन वरिष्ठ नेताओं का कार्यकाल पूरा हो रहा है उनमें दिग्विजय सिंह (मप्र), मोतीलाल वोरा (छत्तीसगढ़) और मधुसूदन मिस्त्री (गुजरात) प्रमुख हैं। सूत्रों की माने तो पार्टी नेतृत्व के लिए इन तीनों को नजरअंदाज कर पाना मुश्किल रहेगा। 
इनके अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, केसी वेणुगोपाल, ओमन चांडी, हरीश रावत, तरुण गोगोई, लुइजिन्हों फ्लेरियो, अविनाश पांडे और दीपक बाबरिया जैसे कांग्रेस कार्य समिति के कई सदस्य संसद के किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं। सूत्रों के मुताबिक इनमें से कई नेता दावेदारों की फेहरिस्त में गिने जा रहे हैं। इनमें भी खड़गे और वासनिक प्रबल दावेदारों में शुमार हैं। अगर इस बार खड़गे को मौका नहीं मिल पाया तो फिर जून महीने में कर्नाटक से उनके नाम पर विचार हो सकता है। 
पार्टी सूत्रों की माने तो राजीव शुक्ला, सलमान खुर्शीद और कई अन्य वरिष्ठ नेता भी राज्यसभा के दावेदारों में शामिल हैं। 
सूत्रों के अनुसार जिन युवा नेताओं की दावेदारी को मजबूत माना का रहा हैं उनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया, रणदीप सुरजेवाला, राजीव सातव और आरपीएन सिंह सरीखे नेता शामिल हैं। कांग्रेस के मध्य प्रदेश इकाई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नेतृत्व के लिए इस बार मध्य प्रदेश से उम्मीदवारों का चयन ज्यादा पेंचीदा नजर आ रहा है। अगर पार्टी एक सीट के लिए दिग्विजय को उम्मीदवार बनाती है तो फिर सिंधिया को किसी दूसरे राज्य से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। 
मध्य प्रदेश से राज्यसभा की जिन तीन सीटों के लिए चुनाव हो रहा है उनमें से कांग्रेस और भाजपा को एक एक सीटें मिलना लगभग तय है, लेकिन तीसरी सीट के लिए मतदान की स्थिति आ सकती है। सूत्रों के अनुसार मप्र के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ दो ऐसे राज्य हैं जहां से कांग्रेस चार सीटें जीतने की स्थिति में है और ऐसे में पार्टी के कई राष्ट्रीय नेता इन दोनों जगहों पर नजरें गड़ाएं हैं। 
कांग्रेस कार्य समिति के एक सदस्य ने कहा, ”यह तो संभव नहीं है कि सभी बड़े चेहरों को राज्यसभा दे दी जाए। पार्टी नेतृत्व के लिए यह चुनौती जरूर है कि पुराने और नए चेहरों के बीच कैसे संतुलन बनाया जाए।” कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हरियाणा से सोनिया गांधी एक बार फिर से अपनी करीबी कुमारी शैलजा पर भरोसा जता सकती हैं तो महाराष्ट्र और गुजरात से कांग्रेस के संभावित नामों को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है। कांग्रेस को अगर नौ सीटें मिलती हैं तो उच्च सदन में उसके सदस्यों की संख्या 45 होगी जोकि वर्तमान में 46 है। 

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